बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा एक रिव्यू कमेटी बनाई गई है। जिसने रविवार को शेख हसीना के शासन के दौरान अडानी समूह के साथ किए गए समझौतों की समीक्षा के लिए कहा है। कमेटी ने कहा है कि अडानी और अन्यों के साथ हुए बिजली समझौतों की कानूनी जांच होनी चाहिए। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कमेटी वर्तमान में सात प्रमुख ऊर्जा और बिजली परियोजनाओं की समीक्षा कर रही है।
जिनमें अडानी (गोड्डा) बीआईएफपीसीएल 1234.4 मेगावाट कोयला आधारित संयंत्र भी शामिल है, जो अडानी पावर लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
कमेटी ने क्या कहा है?
बयान के मुताबिक रिव्यू कमेटी ने बहुत सारे सबूत जुटाए हैं, जिसके आधार पर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता कानूनों और प्रक्रियाओं के अनुरूप समझौतों को रद्द या पुनर्विचार किया जाना चाहिए। कमेटी ने कहा कि उन्हें अभी इन मामलों को समझने के लिए और भी वक़्त चाहिए होगा। रिटायर्ड हाईकोर्ट के जज मोईनुल इस्लाम चौधरी की अध्यक्षता वाली कमेटी के पत्र का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि कमेटी ने कानूनी जांच करने की बात कही है।
अडानी समूह ने हाल ही में बांग्लादेश सरकार को 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बकाया बिजली आपूर्ति बिल के बारे में एक पत्र भेजा है, जबकि बांग्लादेश के सरकारी विद्युत विकास बोर्ड ने कहा है कि उन्होंने डॉलर संकट के बावजूद पहले ही 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान कर दिया है और वह जल्द पूरा भुगतान कर देंगे।
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अडानी का गोड्डा थर्मल प्लांट विशेष रूप से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति करने के लिए स्थापित किया गया था, लेकिन भारत ने हाल ही में एक कानून में बदलाव किया, जिससे भारतीय कंपनी को घरेलू बाजार में गोड्डा बिजली बेचने की अनुमति मिल गई, जिससे यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि क्या बांग्लादेश को प्लांट से समर्पित बिजली आपूर्ति मिलेगी। अंतरिम सरकार ने पहले बिजली और ऊर्जा आपूर्ति (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2010 (संशोधित 2021) के तहत किए गए अनुबंधों की जांच के लिए एक समिति बनाई थी। समिति को जांच करने का काम सौंपा गया था।