Russia-Ukraine War: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 अक्टूबर को मंगोलिया का दौरा पूरा करके वापस आ गए हैं। वे पूर्वी आर्थिक मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद बुधवार व्लादिवोस्तोक पहुंचे थे। वे मंगोलिया से वापस भी आ गए हैं लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। अब सवाल उठ रहा है कि आखिऱ मंगोलिया में उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई, क्योंकिं इंटरनेशल कोर्ट ने पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी को लेकर वॉरंट जारी कर रखा है।
अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने कथित युद्ध अपराधों के संबंध में पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है, और न्यायालय की स्थापना करने वाले रोम संविधि के एक पक्षकार के रूप में मंगोलिया का यह कर्तव्य था कि वह वॉरंट का पालन करते हुए पुतिन को गिरफ्तार करें लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, जिसके चलते सवाल उठने लगे हैं कि आखिर मंगोलिया ने पुतिन को गिरफ्तार क्यों नहीं किया?
मंगोलिया दौरे पर थे पुतिन
बता दें कि पुतिन सोमवार रात मंगोलिया की राजधानी उलानबटार पहुंचे। मंगलवार को वे मंगोलिया के राष्ट्रपति उखनागिन खुरेलसुख के साथ मंचूरिया में खालखिन गोल नदी पर जापानी सेना पर सोवियत और मंगोलियाई सैनिकों की जीत की 85वीं वर्षगांठ के जश्न में शामिल हुए थे। शिखर सम्मेलन की बैठक में दोनों नेताओं ने ऊर्जा आपूर्ति और मंगोलिया में एक बिजली संयंत्र के पुनर्निर्माण पर समझौतों पर हस्ताक्षर किए है।
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कब जारी हुआ था पुतिन के खिलाफ वॉरंट
पुतिन के खिलाफ जारी वॉरंट का जिक्र करें तो, यह वारंट 17 मार्च, 2023 को जारी किया गया था, जब आईसीसी ने पुतिन और रूस के बाल अधिकार आयुक्त मारिया ल्वोवा-बेलोवा को रोम संविधि के अनुच्छेद 8(2)(ए)(vii) और 8(2)(बी)(viii) का उल्लंघन करते हुए यूक्रेन के रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों से बच्चों के अपहरण और रूसी संघ में निर्वासन के लिए जिम्मेदार पाया था।
पुतिन पर क्या हैं आरोप
आईसीसी द्वारा लगाए गए ये अनुच्छेद अवैध निर्वासन और स्थानांतरण तथा अवैध कारावास, समेत किसी कब्जाधारी शक्ति द्वारा अपनी नागरिक आबादी के कुछ हिस्सों को कब्जे वाले क्षेत्र में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्थानांतरित करने से संबंधित हैं। पुतिन के खिलाफ जारी वॉरंट के अनुसार पुतिन और लवोवा-बेलोवा रोम संविधि के अनुच्छेद 25(3)(ए) के तहत अपराधों के लिए व्यक्तिगत रूप से आपराधिक जिम्मेदार हैं। वारंट में पुतिन पर अपने अधीनस्थों पर उचित नियंत्रण न रखने का भी आरोप लगाया गया है जिन्होंने इन कृत्यों को अंजाम दिया या होने दिया।
पुतिन पर क्या हैं आरोप
ऐसा ही वारंट पूर्व रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और रूसी सशस्त्र बलों के वर्तमान चीफ ऑफ जनरल स्टाफ वालेरी गेरासिमोव के खिलाफ भी जारी किए गए थे, जिनमें उन पर “नागरिक ठिकानों पर हमले करने” और “नागरिकों को अत्यधिक आकस्मिक नुकसान पहुंचाने या नागरिक वस्तुओं को नुकसान पहुंचाने” का आरोप लगाया गया था। राष्ट्रपति पुतिन के विरुद्ध आईसीसी वारंट संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के किसी स्थायी सदस्य के नेता के विरुद्ध पहला वारंट है।
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पूर्व रक्षामंत्री के खिलाफ भी आया था वॉरंट
ऐसा ही वारंट पूर्व रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और रूसी सशस्त्र बलों के वर्तमान चीफ ऑफ जनरल स्टाफ वालेरी गेरासिमोव के खिलाफ भी जारी किए गए थे, जिनमें उन पर “नागरिक ठिकानों पर हमले करने” और “नागरिकों को अत्यधिक आकस्मिक नुकसान पहुंचाने या नागरिक वस्तुओं को नुकसान पहुंचाने” का आरोप लगाया गया था। राष्ट्रपति पुतिन के विरुद्ध आईसीसी वारंट संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के किसी स्थायी सदस्य के नेता के विरुद्ध पहला वारंट है।
क्या है रोम संविधि?
रोम संविधि वह संधि है जिसने ICC और संयुक्त राष्ट्र के साथ इसके संबंधों को स्थापित किया था. इसे 1998 में रोम में एक सम्मेलन में अपनाया गया था और 2002 में लागू किया गया था।
रोम संविधि चार मुख्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों को संबोधित करती है, आक्रामकता, नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध। सभी चार प्रकार के अपराध किसी भी सीमा क़ानून से मुक्त हैं, ICC का अधिदेश 1 जुलाई, 2002 के बाद किए गए अपराधों पर लागू होता है।
रूस और मंगोलिया के लिए क्या है इस वॉरंट का मतलब?
रूस: वारंट के अस्तित्व का मतलब है कि पुतिन को हर बार ICC हस्ताक्षरकर्ता देश की यात्रा करने पर गिरफ़्तारी का जोखिम रहता है। हालाँकि, ICC के पास वारंट को लागू करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। हालांकि वारंट ने पुतिन के अंतर्राष्ट्रीय अलगाव को बढ़ा दिया है। वारंट जारी होने के बाद से उनकी अंतर्राष्ट्रीय यात्राएं चीन, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मध्य एशिया में पूर्व सोवियत गणराज्यों और वियतनाम तक ही सीमित रह गई हैं। मंगोलिया पहला आईसीसी हस्ताक्षरकर्ता देश है, जहां पुतिन ने वारंट जारी होने के बाद से दौरा किया है। पिछले साल उन्होंने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा रद्द कर दी थी।
मंगोलिया: मंगोलिया की बात करें तो उसके पास दो विकल्प थे, या तो रूस के साथ अपनी पुरानी मित्रता को बनाए रखना, जिस पर वह ईंधन और बिजली के लिए काफी हद तक निर्भर है, या फिर उस रिश्ते को त्याग कर पश्चिम के साथ चलना, लेकिन यह केवल सिद्धांत में ही एक विकल्प था। यह कल्पना करना कठिन है कि मंगोलिया गिरफ्तारी को अंजाम देने और मास्को के प्रतिशोध से बचने में कैसे कामयाब हो सकता था। मंगोलिया रूसी प्रभाव वाली जमीन से घिरा हुआ मुल्क है और पश्चिम विरोधी सहयोगी रूस और चीन के बीच में फंसा हुआ है।