पिछले महीने जापान की सरकार ने घोषणा की थी कि वो शराब की इंडस्ट्री में जान फूंकने के लिए एक कैंपेन लॉन्च करने जा रही है। इसके तहत 20 से 39 साल की उम्र के लोगों से बिजनेस आइडिया मांगे गए थे, जिनसे शराब की इंडस्ट्री आगे बढ़ सके। सरकार के इस कदम की तीखी आलोचना की जा रही है।

दरअसल जापान सरकार ने एक सर्वे कराया था। इसमें पता चला कि 1995 की तुलना में 2020 में लोगों ने शराब का सेवन कम किया। जापान टैक्स एजेंसी की रिपोर्ट कहती है कि इसकी वजह से रेवेन्यु में भी कमी देखी जा रही है। स्टडी के मुताबिक पहले जहां शराब पीने का औसत प्रति व्यक्ति सालाना 100 लीटर था, वहीं अब ये औसत सिमटकर 75 लीटर सालाना पर आ गया है।

जापान टाइम्स की खबर के मुताबिक अल्कोहल से मिलने वाला राजस्व 1980 में 5 फीसदी था। लेकिन अब ये 1.7 पर आ चुका है। यही वजह है कि 20 से 39 साल की उम्र के लोगों को जापान सरकार शराब पीने के लिएओ प्रोत्साहित कर रही है। सरकार की कोशिश है कि शराब से मिलने वाला राजस्व पहले जैसा रहे।

हालांकि सरकार की ये कोशिश आलोचकों के निशाने पर आ रही है। लोगों का मानना है कि सरकार उनकी सेहत की चिंता के बजाय अपने खजाने को देख रही है। सरकार का तर्क है कि ये सारी कवायद लिक्वर इंडस्ट्री में जान फूंकने के लिए है, क्योंकि ये उद्योग लगातार घाटे में जा रहा है। ऐसे ये खत्म हो जाएगा।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि शराब से मिलने वाला टैक्स कुल का 10 से 15 फीसदी होता है। स्टेट एक्साइज ड्यूटी टैक्स कलेक्शन के मामले में दूसरे या तीसरे नंबर पर होती है। सबसे ज्यादा राजस्व जीएसटी से मिलता है। यूपी को देखा जाए तो एक्साइज ड्यूटी से मिलने वाला टैक्स 22 फीसदी तक है। लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला कि किसी भी सूबे के खजाने की सेहत के लिए शराब कितनी जरूरी है।