इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी से जुड़े मामलों की जांच खत्म करने की अपील की है। उन्होंने बाकायदा इजराइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग के सामने क्षमादान की अपील की है। नेतन्याहू के अनुसार, ऐसा करना राष्ट्रहित में होगा।

पूरा मामला क्या है ये?

इस मामले को लेकर राष्ट्रपति हर्ज़ोग के कार्यालय ने भी एक बयान जारी किया है। इसमें बताया गया है कि प्रधानमंत्री के वकीलों की ओर से 111 पन्नों का एक प्रस्ताव भेजा गया है, जिसे न्याय मंत्रालय के समाधान विभाग को अग्रसारित कर दिया गया है। राष्ट्रपति के कानूनी सलाहकार भी नेतन्याहू के माफी अनुरोध पर विचार कर रहे हैं।

राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि यह एक “असाधारण अनुरोध” है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए सभी पक्षों से राय लेकर ही इस पर आगे निर्णय लिया जाएगा।

क्षमादान के मायने क्या?

समझने वाली बात यह है कि यदि इजराइली राष्ट्रपति इस मामले में नेतन्याहू को क्षमादान दे देते हैं, तो इसका सीधा अर्थ होगा कि बिना औपचारिक दोष सिद्ध हुए ही उन्हें क्लीन चिट मिल जाएगी। जानकारों का मानना है कि यह फैसला इजराइल की राजनीति में बड़ा भूचाल ला सकता है।

दिलचस्प तथ्य यह है कि नेतन्याहू द्वारा माफी मांगने का अनुरोध ऐसे समय आया है, जब कुछ हफ्ते पहले ही पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हर्ज़ोग को पत्र लिखकर नेतन्याहू के खिलाफ आरोप माफ करने की अपील की थी।

नेतन्याहू पर क्या आरोप?

नेतन्याहू पर 2020 में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। उन पर धनी सहयोगियों से उपहार लेने और उसके बदले राजनीतिक लाभ पहुंचाने का आरोप है। उन्होंने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया था। वहीं उनके विरोधियों का मानना है कि नेतन्याहू गाज़ा युद्ध को इसलिए लंबा खींच रहे हैं, ताकि सत्ता में बने रहने का माहौल उनके पक्ष में बना रहे और सभी आरोपों के बावजूद प्रधानमंत्री पद सुरक्षित रहे।

कुछ दिन पहले एक टीवी बयान में भी नेतन्याहू ने अपनी स्थिति स्पष्ट की थी। उन्होंने कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप “पूरी तरह झूठे” हैं और यह मामला बिना ठोस आधार के तैयार किया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि वे चाहते हैं कि मुकदमा अंत तक चले और अदालत उन्हें निर्दोष घोषित करे। लेकिन, राष्ट्रहित को देखते हुए कई बार अलग तरह के कदम उठाने पड़ते हैं।

दूसरी ओर इसराइली विपक्ष लगातार हमलावर है। उनका कहना है कि यदि नेतन्याहू को किसी प्रकार की छूट दी जाती है, तो वे इसका कड़ा विरोध करेंगे।

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