Bangladesh News: बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद में अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया गया। उनके घरों में तोड़फोड़ की गई और मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया। अब जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के अमीर डॉ शफीकुर्रहमान ने धार्मिक समुदायों के बीच मतभेद को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि अगर मेरे घर या मस्जिद पर किसी गार्ड की जरूरत नहीं है तो हिंदू मंदिरों को गार्ड की क्या जरूरत है। हम इस तरह का कोई भेदभाव नहीं चाहते हैं।
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, शफीकुर्रहमान ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों ने इतने दिनों तक जमकर संघर्ष किया और आंदोलन चलाया। वह सभी तरह के भेदभाव को खत्म करें। हमको भेदभाव से मुक्त देश बनाना है। शफीकुर्रहमान ने यह बात दिनाजपुर संस्थान परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में कही। यह कार्यक्रम रुद्र सेन और जनविद्रोह में शहीद और घायल हुए लोगों की याद में आयोजित किया गया था।
आम जनता ने आंदोलन को कामयाब बनाया
जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के अमीर डॉ शफीकुर्रहमान ने कहा कि छात्र और लोग जो आंदोलन कर रहे हैं वह किसी भी खास ग्रुप, पार्टी या समुदाय के लिए नहीं है। यहां पर आम जनता सड़कों पर उतरी और आंदलोन को कामयाब बनाया। किसी खास धर्म के लोगों ने अकेले लड़ाई नहीं लड़ी। यह सभी जातियों, पार्टियों, धर्मों और जातियों के लोगों का आंदोलन था।
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शफीकुर ने दी वार्निंग
डॉ शफीकुर ने वार्निंग देते हुए कहा कि इस आंदोलन का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश का भी सख्त जवाब दिया जाएगा। जमात-ए-इस्लामी हमेशा लोगों के आंदोलन के साथ में ही रही है। अपने आखिरी दिनों में निरंकुश शासन हताश हो गया और हमारे बच्चों की जान चली गई। यह बांग्लादेश ताजा खून के धब्बों से भरा हुआ है। जमात के अमीर ने कहा कि हमारी पार्टी सत्ता का फायदा उठाने में किसी भी तरह की कोई दिलचस्पी नहीं रखती है। हमारे मकसद समाज में बदलाव लाने का है। हम एक ऐसा देश और दुनिया चाहते हैं, जहां पर सभी लोग शांति से रह सकें। चाहे फिर उनका धर्म और जाति कुछ भी हो।