पाकिस्तान के बलूचिस्तान में पिछले 24 घंटे में 39 लोगों की हत्या हुई हैं। मुसाखेल जिले में आज सुबह हथियारबंद लोगों ने एक बस को रोका और सवारियों की पहचान के बाद 23 लोगों को गोली मार दी। पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के मुताबिक मुसाखेल जिले के असिस्टेंट कमिश्नर नजीब काकर ने कहा कि पहले पंजाब से आने-जाने वाले वाहनों की जांच की गई और पंजाब के लोगों की पहचान करके उन्हें गोली मारी गई है। ऐसे ही अलग-अलग मामले और भी सामने हैं, एक जगह 10 गाड़ियों में आग लगाए जाने की जानकारी भी है।
बलूचिस्तान में इस तरह का यह पहला हमला नहीं है। इससे पहले अप्रैल महीने में बलूचिस्तान के नोशकी शहर के पास नौ पंजाबी यात्रियों को उनकी पहचान करने के बाद गोली मार दी गई थी। पिछले साल अक्टूबर में बलूचिस्तान के केच जिले में छह पंजाबी मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2015 में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। अब सवाल यह है कि आखिर पंजाबियों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है?
बलूचिस्तान की आज़ादी का संघर्ष?
बलूचिस्तान में पहला विद्रोह 1948 में शुरू हुआ था जब कलात (जिला) के प्रमुखों को पाकिस्तान में जबरन शामिल कर लिया गया था। यह पूरी लड़ाई बलूचिस्तान की आज़ादी से जुड़ी थी। पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान के ज़्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लेना इसकी वजह थी। यह लड़ाई प्रमुखता से 1948, 1958-59, 1962-63 और 1973-1977 और 2003 में देखी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स में दर्ज किया गया कि इस दौरान पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के लोगों का क्रूरतापूर्वक दमन किया। पाकिस्तानी सेना पर अपहरण, मनमानी गिरफ़्तारी और हत्याओं सहित कई आरोप लगे और 1948 से पाकिस्तानी सेना द्वारा हज़ारों बलूच नागरिकों को मार दिया गया। इस दौरान बलूच संगठनों ने भी हिंसा का सहारा लिया। उन पर प्रांत में रहने वाले गैर-बलूच लोगों की हत्याओं के आरोप लगे।
इस्लामाबाद स्थित एक गैर सरकारी संगठन,-पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज- द्वारा ‘पाकिस्तान सुरक्षा रिपोर्ट 2023’ के अनुसार, बलूच विद्रोही समूहों (बलूच लिबरेशन आर्मी और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट) ने 2023 में बलूचिस्तान में 78 हमले किए, जिसमें 86 लोग मारे गए और 137 अन्य घायल हुए।
क्यों पंजाबियों को बनाया जा रहा है निशाना?
इस सवाल का जवाब ‘जातीय मतभेद’ है। जिसके रहते पाकिस्तान में ख़ासी फूट देखी गई है। स्वतंत्रता के समय बलूच राष्ट्रवाद का आधार यही था और आज भी यह एक महत्वपूर्ण बिन्दु है। आज़ादी के बाद से ही पंजाब प्रांत ने पाकिस्तानी राजनीति पर अपना दबदबा बनाए रखा है, और पंजाबियों का देश की नौकरशाही और संस्थाओं पर लगभग नियंत्रण रहा है। यहां तक कि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम पर भी ऐतिहासिक रूप से पंजाबियों का दबदबा रहा है। जबकि बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, हालांकि यहां की आबादी सबसे कम है लेकिन यह प्राकृतिक संसाधनों (तेल सहित) से भरपूर है और ईरान और अफ़गानिस्तान के साथ देश की पश्चिमी सीमा पर रणनीतिक भूमिका रखता है। लेकिन देश के बाकी हिस्सों की तुलना में गरीब हैं। यहां रहने वाले लोग अन्याय होने की बात करते हैं, यही वजह है कि पंजाबियों और बलूच लोगों के बीच संघर्ष दिखता रहा है और बलूच लोग पंजाबियों पर हमला करते रहे हैं।