गुयाना के राष्ट्रपति पद पर एक बार फिर मोहम्मद इरफान अली काबिज हो गए हैं। सोमवार को हुए चुनावों में उनकी पार्टी पीपुल्स प्रोग्रेसिव पार्टी (पीपीपी) ने भारी जीत दर्ज की। अली के मुख्य प्रतिद्वंद्वी ऑब्रे नॉर्टन (पीपुल्स नेशनल कांग्रेस रिफॉर्म) और नए उभरते नेता अजरुद्दीन मोहम्मद (वी इन्वेस्ट इन द नेशन पार्टी) को जरूरी समर्थन नहीं मिला। लंबे समय से विपक्ष में रही एपीएनयू भी पिछड़ गई।
मतदाताओं से किया था जेब पर असर डालने वाली नीतियां बनाने का वादा
इरफान अली पहली बार 2020 में राष्ट्रपति बने थे। तब चुनाव परिणामों को लेकर पांच महीने का गतिरोध चला, लेकिन सत्ता उन्हीं के हाथों आई। इस बार उन्होंने मतदाताओं से वादा किया था कि उनकी नीतियां सीधे आम लोगों की जेब पर असर डालेंगी। गुयाना आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में है, लेकिन गरीबी अभी भी बड़ी चुनौती है। 2024 की इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां 58% आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है।
25 अप्रैल 1980 को जन्मे अली पेशे से शहरी योजनाकार और अर्थशास्त्री हैं। उन्होंने वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय से शहरी एवं क्षेत्रीय नियोजन में पीएचडी की है। इसके अलावा उनके पास अंतरराष्ट्रीय व्यापार, वित्त, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक कानून और व्यवसाय प्रबंधन जैसे विषयों में कई डिग्रियां हैं। वे पहले गुयाना के सांसद, आवास एवं जल मंत्री और पर्यटन-उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं।
अली का परिवार 19वीं सदी में भारत से गुयाना पहुंचे गिरमिटिया मजदूरों का वंशज है। भारत और गुयाना के बीच यही ऐतिहासिक रिश्ता आज भी अहम भूमिका निभाता है। अली को मोदी सरकार ने 2023 में “प्रवासी भारतीय सम्मान” से भी नवाजा गया, जो भारत सरकार की ओर से प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
गुयाना के पास दुनिया में प्रति व्यक्ति सबसे अधिक प्रमाणित कच्चे तेल का भंडार है। 2015 में एक्सॉनमोबिल ने तट पर विशाल तेल भंडार खोजा, जिसके बाद राज्य की अर्थव्यवस्था तेजी से बदली। 2020 में जब अली सत्ता में आए थे, तब गुयाना की जीडीपी 5 अरब डॉलर थी, जो अब बढ़कर लगभग 26 अरब डॉलर हो गया है। देश का लक्ष्य है कि 2030 तक तेल उत्पादन को 10 लाख बैरल प्रतिदिन तक ले जाया जाए।
लेकिन तेल से मिली समृद्धि के बावजूद गरीबी, असमानता और सामाजिक विकास की चुनौतियां बनी हुई हैं। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक बार-बार सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह समृद्धि वास्तव में लोगों तक पहुंचेगी।
तेल का बड़ा हिस्सा एस्सेकिबो क्षेत्र में है, जिस पर वेनेजुएला दावा करता है। हाल के चुनाव के दौरान वेनेजुएला ने गुयाना पर “युद्ध की तैयारी” का आरोप लगाकर तनाव और बढ़ा दिया। गुयाना इस विवाद को लेकर लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समर्थन तलाश रहा है। इरफान अली के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती है—तेल संपदा को गरीबी मिटाने और बुनियादी ढांचे में सुधार की दिशा में लगाना। गुयाना आज “गरीब लोगों वाला अमीर देश” कहलाने की कगार पर है। दुनिया की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या अली अपने देश की किस्मत बदल पाएंगे।