Syria Civil War Abu Mohammad al-Jolani: सीरिया में साल 2011 में शुरू हुआ गृह युद्ध अब अपने अंत की ओर बढ़ता हुआ दिख रहा है क्योंकि राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ लड़ रहे विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है। बिगड़ते हालात के बीच राष्ट्रपति असद मुल्क छोड़कर भाग गए हैं। सीरिया में 13 साल से चल रहे इस गृह युद्ध में असद की सरकार के खिलाफ विद्रोह का सबसे बड़ा चेहरा अबू मोहम्मद अल-जोलानी है।

जोलानी हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का प्रमुख है। HTS के लड़ाके दमिश्क में असद के नेतृत्व वाली सरकार के पतना का जश्न मना रहे हैं। जोलानी ने हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि उसका सिर्फ एक मकसद सीरिया को असद के शासन से मुक्त कराना है।

असद सरकार और विद्रोहियों के बीच चल रही इस लड़ाई में रूस की सेना ने HTS के प्रभाव वाले इलाकों में जेट विमानों से बमबारी की थी। लेकिन इसके बाद भी HTS के लड़ाकों ने तमाम बड़े शहरों को कुछ ही दिनों में जीत लिया। याद दिलाना होगा कि सीरिया में असद की सरकार के खिलाफ 2011 में शुरू हुआ प्रदर्शन गृह युद्ध में बदल गया था। यह लड़ाई 2010 में अरब स्प्रिंग के बाद शुरू हुई थी।

अरब स्प्रिंग के दौरान मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका के कई देशों में लंबे वक्त तक सत्ता में रही सरकारों के खिलाफ विद्रोह हुआ था।

कैसे शुरू हुआ गृह युद्ध, क्या है सीरिया में चल रहा पूरा झगड़ा, क्यों हार गए बशर अल-असद?

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2011 से सीरिया में चल रही है लड़ाई। (Source-AP)

आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि जोलानी कौन है।

हयात तहरीर अल-शाम क्या है?

सीरिया के जिहादी लड़ाकों ने असद सरकार से लड़ने के लिए जबात अल-नुसरा फ्रंट का गठन किया था। यह संगठन अल-कायदा और ISIS से जुड़ा था। लेकिन 2016 में यह अलग हो गया और जबात फतेह अल-शाम (JFS) बन गया। JFS 2017 में कई अन्य संगठनों के साथ मिलकर HTS में बदल गया।

अबू मोहम्मद अल-जोलानी कौन है?

जोलानी का जन्म सऊदी अरब में हुआ था और बाद में उसने दमिश्क का रूख किया था। सीरिया आने से पहले जोलानी के दादा गोलान हाइट्स में रहते थे। गोलान हाइट्स इजरायल और सीरिया के बीच का इलाका है। 1967 के अरब-इजरायल युद्ध तक यह सीरिया का हिस्सा था लेकिन मौजूदा वक्त में इसके लगभग 70% हिस्से पर इजरायल का कब्जा है।

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Syria Civil War 2024
राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद लेबनान के त्रिपोली में झंडे लेकर जश्न मनाते लोग। (REUTERS/Omar Ibrahim)

जोलानी ने हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में साल 2000 में दूसरे इंतिफादा यानी इजरायली कब्जे के खिलाफ फिलिस्तीनी विद्रोह के बारे में बात की थी। जोलानी ने कहा था, “उस समय मेरी उम्र 17 या 18 साल थी और मैंने सोचना शुरू कर दिया था कि मैं कैसे उन लोगों की रक्षा करूंगा जिनका आक्रमणकारियों के द्वारा उत्पीड़न किया गया है।”

उदार चेहरा दिखाने की कोशिश

जोलानी ने कई सालों तक छिपकर काम किया और अब वह सुर्खियों में हैं। जोलानी ने पिछले कुछ सालों में जिहादी लड़ाकों द्वारा पहनी जाने वाली पगड़ी पहनना बंद कर दिया है और वह मिलिट्री ड्रेस में दिखाई देता है। 2016 में अल-कायदा से नाता तोड़ने के बाद जोलानी ने खुद को ऐसे नेता के तौर पर दिखाने की कोशिश की है जो उदार चेहरे वाला है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि HTS एक आतंकवादी संगठन है। हाल ही में जोलानी ने अलेप्पो के लोगों को संबोधित करते हुए कहा था, कि HTS के शासन में ईसाइयों को कोई नुकसान नहीं होगा। अलेप्पो में बड़ी संख्या में ईसाई अल्पसंख्यक रहते हैं।

मिडिल ईस्ट आई समाचार वेबसाइट के मुताबिक, 9/11 के हमले के बाद जोलानी ने पहली बार जिहाद के रास्ते पर चलना शुरू किया। इसके बाद जोलानी ने दमिश्क के शहरों में धार्मिक सभाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था।

2003 में जब अमेरिका ने इराक में अपनी सेना भेजी तो जोलानी बगदाद चला गया और इस विद्रोह में शामिल हो गया। धीरे-धीरे वह आगे बढ़ता गया। 2013 में उसे अमेरिका ने उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। वह इराक में अबू मुसाब अल-जरकावी के नेतृत्व वाले अल-कायदा में शामिल हो गया। इसके बाद उसे पांच साल तक हिरासत में रखा गया। इस वजह से वह अल-कायदा में आगे नहीं बढ़ सका।

मार्च 2011 में जब सीरिया में असद सरकार के शासन के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा तो जोलानी सीरिया वापस आ गया और अल-नुसरा फ्रंट बनाया। वह अल-कायदा के अयमान अल-जवाहिरी वाले गुट के साथ जुड़ा रहा लेकिन 2016 में जोलानी ने अल-कायदा से अपने संबंध तोड़ लिए।

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