US Attack Iran: अमेरिका ने ईरान पर आखिरकार हमला कर ही दिया, उसकी तीन न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिका ने जबरदस्त बमबारी की है। उससे भारी नुकसान की खबरें भी हैं, लेकिन पूरी दुनिया की नजर अब ईरान पर है। उसके अगले कदम को लेकर अभी से ही अटकलें लगाई जा रही हैं।
जानकार मानते हैं ईरान के पास इस समय तीन ही विकल्प बचे हैं, इन तीन विकल्पों को लेकर ही ईरान की टॉप लीडरशिप में मंथन चल रहा होगा
विकल्प नंबर 1
अमेरिकी हमले के बाद से ईरान में जबरदस्त आक्रोश है, हर कोई चाहता है कि बदला लिया जाए। ऐसे में सबसे पहला विकल्प तो ईरान के पास यही है कि वो अमेरिकी बेस को निशाना बनाएग। जानकार मानते हैं कि ईरान बहरीन के मीना सलमान में अमेरिकी बेस को निशाना बना सकता है। इसके अलावा ईरान, इराक और सीरिया में बैठे अपने प्रॉक्सियों के जरिए भी एट-तन्फ़, ऐन अल-असद या एरबिल में अमेरिकी बेस को नुकसान पहुंचा सकता है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जरूरत पड़ने पर ईरान अमेरिकी नेवी की वॉरशिप को भी निशाने पर ले सकता है। पिछले कुछ सालों से ईरान की नेवी इस पूरी कार्रवाई की प्रैक्टिस भी कर रही है। वैसे अमेरिका पर हमले के अलावा ईरान कूटनीतिक रास्ता भी चुन सकता है, वो तेल मार्ग Strait Of Harmoz को बंद कर सकता है। ईरान की संसद ने इस फैसले को पहले ही हरी झंडी दिखा दी है, अब तो नेशनल काउसिंल को अंतिम मुहर लगानी है।
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विकल्प नंबर 2
जानकार मानते हैं ईरान की एक रणनीति यह भी रह सकती है कि अभी वो किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया न दें और सही वक्त का इंतजार करे। इस तरह से समय आने पर ईरान अमेरिका के महत्वपूर्ण स्थान को निशाने पर ले सकता है। बात चाहे ट्रेड मिशन्स की हो या फिर अमेरिका के डिप्लोमेटिक स्थानों की, वो सरप्राइज अटैक कर सकता है। लेकिन यहां चुनौती यह रहेगी कि जब हमला किया जाएगा, तब तक ईरान की आम जनता युद्ध के माहौल से बाहर निकल चुकी होगी और एक कार्रवाई की वजह से उसे फिर मुश्किल दौर से गुजरना पड़ेगा।
विकल्प नंबर 3
ईरान के पास तीसरा विकल्प इस समय यह है कि वो अमेरिका पर किसी भी तरह का हमला न करे और बातचीत की टेबल पर लौट जाए। अब ऐसा करना ईरान के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है, बात यहां पर उसके साख की है। लेकिन अगर वो खुद को अमेरिकी हमले से बचाना चाहता है, अपनी आवाम को सुरक्षित देखना चाहता है, उस स्थिति में वो ऐसा फैसला भी ले सकता है। इतना जरूर है कि ईरान की सरकार दावा करती है कि उसने कभी भी खुद को बातचीत की टेबल से पीछे नहीं किया था बल्कि इजरायल की तरफ से ही बिना किसी कारण के अचानक से हमला कर दिया गया।
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