What is Phosphorus Bomb: इजरायल और आतंकी संगठन हमास के बीच युद्ध चल रहा है। सबसे पहले हमास ने इजरायल पर हमला किया, जिसमें सैकड़ो लोगों की जान चली गई। उसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्यवाही शुरू की और इसमें आतंकी संगठन हमास के 1500 आतंकियों को मार गिराने का दावा किया है। वहीं इस बीच फिलीस्तीन ने इजरायल पर बड़ा आरोप लगाया है। इजरायल पर आरोप लगाते हुए फिलीस्तीन ने कहा कि इजरायली सेना घनी आबादी वाले इलाकों में व्हाइट फॉस्फोरस बम गिरा रही है।
व्हाइट फॉस्फोरस बम सफेद फॉस्फोरस और रबड़ को मिलाकर तैयार किया जाता है। फॉस्फोरस का रंग पीला या रंगहीन होता है और इससे सड़े लहसुन जैसी तेज गंध आती है। इसकी खूबियां है कि यह ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही आग पकड़ लेता है और फिर इसे पानी से भी नहीं बुझाया जा सकता। ऑक्सीजन के लिए फॉस्फोरस रेडियोएक्टिव का काम करता है, इसलिए यह जहां भी गिरता है वहां की सारी ऑक्सीजन सोख लेता है।
ऐसे में जो लोग व्हाइट फॉस्फोरस की चपेट में आते हैं, वह जलते तो नहीं है लेकिन दम घुटने से मर जाते हैं। व्हाइट फॉस्फोरस तब तक जलता है जब तक यह पूरी तरह से खत्म ना हो जाए और इस पानी डालने पर भी नहीं बुझाया जा सकता।
व्हाइट फॉस्फोरस बम 1300 डिग्री सेल्सियस तक जल सकता है, इसलिए इसमें आग से अधिक जलन होती है। इसी कारण जो लोग इसके संपर्क में आते हैं, उनकी हड्डियां तक गल जाती हैं। वहीं जो लोग इसके संपर्क में आने पर बच भी जाते हैं, उनका जीवन किसी काम का नहीं रह जाता है क्योंकि उन्हें लगातार गंभीर संक्रमण की बीमारियां होती रहती हैं। व्हाइट फॉस्फोरस के संपर्क में आने वाले व्यक्ति की उम्र अपने आप काम हो जाती है क्योंकि यह त्वचा से होते हुए खून में पहुंच जाता है।
व्हाइट फॉस्फोरस की चपेट में आने से हार्ट, लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचता है और मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो सकता है। व्हाइट फॉस्फोरस बम का प्रयोग दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान काफी हुआ था। अमेरिकी सेना ने जर्मन के खिलाफ व्हाइट फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया था। अमेरिका पर यह भी आरोप लगे थे कि उसने जानबूझकर रिहायसी इलाकों में व्हाइट फॉस्फोरस की बमबारी की थी, ताकि जर्मनी पर दबाव बनाया जा सके।
