हिरोशिमा और नागासाकी में 1945 में परमाणु बम विस्फोट हुआ था। इससे लाखों लोग प्रभावित हुए थे। वहीं इससे बचे लोगों ने एक संगठन बनाया, जिसका नाम निहोन हिडानक्यो रखा गया। अब इस संगठन को परमाणु हथियार के खिलाफ सक्रियता के लिए शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष जोर्जेन वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि यह पुरस्कार इसलिए दिया गया क्योंकि परमाणु हथियार के इस्तेमाल के खिलाफ प्रतिबंध दबाव में है।
नोबेल प्राइज समिति ने कहा, “निहोन हिडानक्यो ने हजारों गवाहों के विवरण उपलब्ध कराए हैं। प्रस्ताव और सार्वजनिक अपीलें जारी की हैं और दुनिया को परमाणु निरस्त्रीकरण की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में वार्षिक प्रतिनिधिमंडल और विभिन्न शांति सम्मेलन भेजे हैं।”
क्या है निहोन हिडानक्यो?
निहोन हिडानक्यो हिरोशिमा और नागासाकी (जिसे हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है) के परमाणु बम से बचे लोगों का एक जमीनी स्तर का आंदोलन है, जो अगस्त 1945 के परमाणु बम हमलों के जवाब में उभरा था। दुनिया भर में व्यापक संघर्ष के बीच नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने कहा कि यह पुरस्कार ‘परमाणु निषेध’ नामक मानदंड को कायम रखने का प्रतीक है। नोबेल समिति ने अपनी प्रेस रिलीज़ में लिखा, “मानव इतिहास के इस क्षण में हमें खुद को याद दिलाना ज़रूरी है कि परमाणु हथियार क्या हैं? यह दुनिया में अब तक देखे गए सबसे विनाशकारी हथियारों में से एक हैं।”
पिछले साल ईरानी कार्यकर्ता नर्गेस मोहम्मदी को ‘ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई के लिए’ शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शांति पुरस्कार के विपरीत, चिकित्सा, फिजिक्स और केमिस्ट्री के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार वैज्ञानिकों के शोध कार्य के प्रभाव को प्रभावी ढंग से मापने के लिए प्रकाशित होने के कई वर्षों बाद प्रदान किए जाते हैं।
बता दें कि नोबेल प्राइज के साथ 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन ($1.1 मिलियन) की पुरस्कार राशि दी जाती है। इसे विजेताओं के बीच साझा किया जाता है, अगर यह एक से अधिक हैं। वहीं अगर यह किसी संगठन को दिया जाता है तो ये राशि संगठन में ही दी जाती है।