संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि युद्धग्रस्त यमन हैजे की महामारी से जूझ रहा है, जिससे इस गरीब देश में शिशुओं के लिए और खतरा पैदा हो गया है। यूनीसेफ यमन के प्रतिनिधि जुलियन हार्नीस ने शुक्रवार (7 अक्टूबर) को कहा, ‘यह महामारी यमन में लाखों बच्चों के दिक्कतों में इजाफा करने वाली है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति में जब यमन में संघर्ष जारी है, मौजूदा हैजा महामारी को तत्काल रोका नहीं जाता है तो यह बच्चों के लिए खासकर जोखिम भरा हो सकता है।’ डब्ल्यूएचओ ने यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि विद्रोहियों के कब्जे वाले एक इलाके हैजा के आठ मामले दर्ज किए गए और इनमें अधिकतर बच्चे शामिल हैं।
इसके अनुसार राजधानी सना के अल-सबीन अस्पताल के एक अलग अनुभाग में अत्यधिक डिहाइड्रेशन से जूझ रहे इन बच्चों का उपचार किया जा रहा था। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पेयजल की कमी के कारण यमन में हालात बदतर हो गए हैं। गंभीर डायरिया के मामलो में इजाफा हुआ है। अन्य हिस्सों से विस्थापित होकर देश के केंद्र में आकर बसे लोगों में तो इसमें बेतहाशा इजाफा हुआ है। यूनीसेफ ने बताया कि हैजा ऐसी बीमारी है जिसमें लोग दूषित पेयजल से संक्रमित होते हैं। 15 प्रतिशत मामलों में यह घातक साबित हो सकता है। एजेंसी ने बताया कि यमन में तकरीबन 30 लाख लोगों को भोजन की आवश्यकता है। 15 लाख बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं। तकरीबन 3,70,000 बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं। इसके कारण उनका रोग प्रतिरोधी प्रणाली कमजोर हो गई है।