रूस में 12 घंटे के गतिरोध के बाद निजी सेना वैगनर के लड़ाके अपने कैंपों की तरफ वापस लौट गए हैं। सेना के चीफ येवगेनी प्रीगोझिन ने अपने सैनिकों को यूक्रेन में अपने कैंपों में वापस लौटने का आदेश दिया है। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको से बातचीत के बाद प्रीगोझिन के तेवर ढीले पड़ गए और उन्होंने मॉस्को पर हमला नहीं करने का फैसला किया। जिस वक्त उन्होंने अपनी सेना को वापस लौटने का आदेश दिया, उस समय सैनिक क्रेमलिन से 200 किलोमीटर की दूरी पर थे। प्रीगोझिन ने कहा कि जब उनके लोग मॉस्को से सिर्फ 200 किलोमीटर (120 मील) दूर थे, तो उन्होंने उन्हें वापस भेजने का फैसला किया, ताकि रूसी लोगों का खून न बहे।

अलेक्जेंडर लुकाशेंको से बातचीत के बाद वापस लौटे वैगनर के सैनिक

अलेक्जेंडर लुकाशेंको के कार्यालय से एक बयान के बाद इसकी घोषणा की गई। बयान में कहा गया कि अलेक्जेंडर ने रूस के राष्ट्रपित व्लादिमीर पुतिन के साथ इस मुद्दे पर एक चर्चा की थी, जिसके बाद उन्होंने प्रीगोझिन के साथ एक समझौते पर बातचीत की। बयान में यह भी कहा गया कि प्रीगोझिन एक प्रस्तावित समझौते के तहत अपने सैनिकों की वापसी पर सहमत हुए। उन्होंने कहा कि समझौते में वैगनर सैनिकों के लिए सुरक्षा गारंटी भी शामिल है।

प्रीगोझीन और रूसी सरकार के बीच हुआ समझौता

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रीगोझीन और रूसी सरकार के बीच समझौता हो गया है। बेलारूस ने वैगनर को तनाव को कम करने का प्रस्ताव दिया था। न्यूज एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि निजी सेना वैगनर के चीफ तनाव को कम करने के लिए समझौते पर सहमत हो गए हैं और अब वे पड़ोसी देश बेलारूस चले जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सेना के लड़ाकों के खिलाफ आपराधिक मामले बंद कर दिए जाएंगे। बयान में कहा गया कि पुतिन खूनखराबे और आंतरिक टकराव से बचना चाहते थे।

शनिवार को वैगनर की ओर से शुरू हुए विद्रोह को पुतिन ने विश्वासघात और रूस की पीठ में छुरा घोंपने वाला कदम करार दिया था। पुतिन ने कहा कि बगावत की साजिश रचने वालों को कठोर सजा दी जाएगी। प्रीगोझिन के लड़ाके यूक्रेन की सीमा पार कर रूस के दक्षिण में महत्वपूर्ण शहर में दाखिल हुए और वे मॉस्को की तरफ बढ़ने लगे। टेलीविजन पर प्रसारित संबोधन में पुतिन ने रूस की रक्षा करने का संकल्प लिया। प्रीगोझिन की इस बगावत को सत्ता में दो दशकों से अधिक समय में पुतिन के नेतृत्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है।