अफ्रीकी देश कॉन्गो के गोमा शहर के नजदीक स्थित नीरागोंगो में ज्वालामुखी फट गया। जिसके बाद लावा बहकर 10 किमी तक फैल गया। इसके कारण वहाँ रहने वाले लोग घबराकर गोमा शहर से दूसरे शहर में भागने लगे। इस हादसे में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के तहत कॉन्गो में तैनात भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने ज्वालामुखी प्रभावित गोमा शहर में नागरिकों और संयुक्त राष्ट्र के दूसरे कर्मियों को निकालने और सुरक्षा देने में मदद की।

जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा मिशन की ओर से शहर की तस्वीर ट्वीट की गई,उन्होंने लिखा कि हम अपने विमानों के जरिए क्षेत्र पर नजर रख रहे हैं। जानकारी के अनुसार लावा फटने के कारण यहां 500 से ज्यादा मकान नष्ट हो गए और कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है। इस प्राकृतिक आपदा में लगभग 150 बच्चे लापता है। यूनिसेफ बताया है कि वे ऐसे बच्चों की मदद के लिए शिविर लगा रहे हैं जो अकेले हैं, जिनके साथ कोई बड़ा नहीं है। यह ज्वालामुखी लगभग दो दशकों के बाद माउंट न्यारागोंगो में फटा है। इसके फटने के बाद डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो ने गोमा शहर लोगों से जगह को खाली करने का आग्रह किया था, लेकिन डर के कारण पहले ही शहर को छोड़कर भागने लगे थे।

आपको बता दें अफ्रीकी देश कॉन्गो के गोमा शहर के नजदीक स्थित नीरागोंगो में जैसे ही लोगों ने शनिवार की रात में आसमान को लाल होते देखा वैसे ही वो सब इस शहर से दूसरे सुरक्षित शहरों की तरफ निकल पड़े। इसमें से हजारों लोग पड़ोसी देश रवांडा की तरफ भागने गए। लोगों ने यह भी बताया कि अधिकारियों के द्वारा हमे पहले इस ज्वालामुखी के विस्फोट के बारे में सूचित नहीं किया गया था। वहां से सामने आ रहे वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि लोग किस तरह से दहशत में भाग रहे हैं।


स्थानीय मीडिया के अनुसार उत्तर में आसपास के कई गांव प्रभावित हुए हैं, जिनमें अभी भी इमारतें जलती हुई दिख रही हैं। वहां की निवासी एलाइन बिचिकवेबो ने मीडिया को बताया कि मैं कुछ बच्चों को लेकर भाग आयी पर उनके माता पिता को नहीं बचा पायी।

उनके साथ के ही एक सदस्य ने बताया कि अकेले बुगांबा में ही 10 लोगों की मौत हुई है। अलुम्बा सुतोय ने कहा हम लोग भी घबराएं हुए है साथ उन्होंने ये भी कहा कि खाने-पीने की व्यवस्था न होने के कारण हम सब भूखे हैं।

हालांकि अधिकारियों का कहना है कि मौत का सही आंकड़ा बता पाना अभी जल्दबाजी होगी। वहां के एक अधिकारी प्रो टेडेस्को ने बताया है कि अभी यह बता पाना बेहद मुश्किल है कि यह बढ़ेगा या नहीं।

संचार मंत्री पैट्रिक मुयाया ने ट्वीट करके बताया कि गोमा शहर के लिए निकासी योजना बना दी गयी है। सरकार इस समय तत्काल उपायों पर चर्चा कर रही है।

आपको बता दें कि पिछली बार 2002 में भी न्यारागोंगो में इसी तरह का जवालामुखी विस्फोट हुआ था। जिसमें लगभग 250 लोग मारे गए थे और 100,000 से अधिक लोग बेघर हो गए थे। यह दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है। बताया जाता है कि लावा झील से सबसे घातक जवालामुखी विस्फोट के कारण 977 में 600 से अधिक लोगों की मौत हुई थी ।