भारत-पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता में अपनी भूमिका से स्पष्ट इनकार करते हुए अमेरिका ने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों के नेताओं को फैसला करना है।

विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने सोमवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘क्षेत्र में तनाव महत्वपूर्ण है। हम उसे पहचानते हैं और हम समझते हैं कि यह महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के नेता इस बातचीत को बहाल करें और किसी समाधान तक पहुंचने का प्रयास करें।’

किर्बी ने कहा, ‘खासकर कश्मीर में तनाव के बारे में हमारे रूख में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह ऐसा मुद्दा है जिसे भारत और पाकिस्तान को आपस में हल करने की आवश्यकता है।’

वह भारत और पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तरीय वार्ता के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे। पाकिस्तान ने आखिरी समय में वार्ता रद्द कर दी थी।

उन्होंने कहा, ‘हम रचनात्मक बातचीत से उत्साहित थे। इसी साल रूस में भारत और पाकिस्तान के नेताओं के बीच रचनात्मक बातचीत शुरू हुई थी।’

उन्होंने कहा, ‘हम इस बात से निराश हैं कि बातचीत नहीं हो सकी। हम भारत और पाकिस्तान को शीघ्र औपचारिक बातचीत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि दोनों देश बैठें और अपने बीच के मुद्दों का हल करें। उनमें से कुछ हिंसक उग्रवाद से जुड़े हैं और कुछ नहीं। इन मुद्दों का हल दोनों देशों को निकालना होगा।

किर्बी ने यह स्पष्ट किया कि आतंकवाद और विश्व के सामने बने खतरे पर अमेरिका का रूख वही है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और राष्ट्रीय स्तर के सभी तत्वों का इस्तेमाल करते हुए अमेरिका हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध बना रहेगा।