दूसरे विश्व युद्ध में क्रैश हुए दो लड़ाकू विमानों की जगह खुदाई करने की इजाजत के लिए अमेरिका भारत से अपील करेगा। अमेरिका चाहता है कि अरुणाचल प्रदेश में इस साल दो जगहों पर अवशेष ढूंढ़ने के लिए उसे अनुमति दी जाए। डीपीएए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के समय हुए विमान क्रैश की 20 संभावित जगहों की पहचान कर ली है। ये सभी उत्तर पूर्व में हैं लेकिन इनमें से किसी के लिए तैयारी नहीं है। बता दें कि अप्रैल में अमेरिका के रक्षा सचिव एश्टन कार्टर की भारत यात्रा के समय अमेरिकी वायुसेना के बी-24 बॉम्बर विमान के क्रैश होने की जगह से खुदाई कर एक सैनिक के अवशेष ले जाए गए थे।
डीपीएए अधिकारी ने बताया, ”हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारत में एक साल में कम से कम दो अभियान पूरे कर सकें जिससे कि भविष्य के बारे में अंदाजा लगाया जा सके।” उन्होंने बताया कि कुछ सप्ताह में वे अगले मिशन के लिए अपील करेंगे। डीपीएए के अनुसार दूसरे विश्व युद्ध के समय के लगभग 350 अमेरिकी सैनिक भारत में लापता हैं। अमेरिका में दूसरे विश्व युद्ध के समय के सैनिकों के अवशेषों को वापस लाने का मुद्दा राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील है। एश्टन कार्टर की यात्रा के समय भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान में कहा गया था, ”भारत सरकार अमेरिका के अपने खोए हुए कमर्चारियों को घर ले जाने और उनके परिवारों को सौंपने के वादे पर सहयोग देने पर राजी है। साथ ही अगले कुछ सालों में इस तरह के मानवीय कार्यों को जारी रखने पर आशान्वित है।”
अमेरिकी अधिकारी ने बताया, ” हमारे ज्यादातर खोए हुए सैनिक हिमालय के ऊपर सप्लाई रूट के करीब है। इस रूट को कूबड़ भी कहा जाता है।” दूसरे विश्व युद्ध के समय यह रास्ता ही भारत से चीन के बीच सप्लाई रूट था। डीपीएए की ओर से तय किए गए ज्यादातर स्थान अरुणाचल प्रदेश में हैं लेकिन कुछ प्लेन असम और नागालैंड में भी क्रैश हुए थे।