यदि आप लंबी नींद लेने के शौकीन हैं तो आप अपने इस शौक से पैसे भी कमा सकते हैं। वह भी दो महीने में 13 लाख रुपये। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा लोगों के एक समूह को दो महीने तक सोने के लिए करीब 13 लाख रुपये का ऑफर दे रही है।
खबरों के अनुसार नासा को 24 लोगों की तलाश है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी चुने गए 24 लोगों को सितंबर 2019 में जर्मन एयरोस्पेस सेंटर में लेकर जाएगी। मिशन की शुरुआत से पहले इन लोगों को स्थिति का अभ्यस्थ होने की प्रक्रिया से गुजारा जाएगा।
इन लोगों को आर्टिफिशियल ग्रेविटी से जुड़े टेस्ट के लिए दो महीने तक बेड पर रहना होगा। इस अवधि के दौरान वैज्ञानिक चुने गए लोगों की विभिन्न तरीके की जांच करेंगे। इसमें मसल्स स्ट्रेंथ, बैलेंस, संज्ञानात्मक क्षमता और कार्डियोवस्कुलर एक्टिविटी की जांच शामिल होगी।
दूसरी तरफ वैज्ञानिकों, मनोचिकित्सकों और मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम चयनित लोगों को सहयोग करेगी। इसमें उनके खानपान व न्यूट्रिशन की जिम्मेदारी शामिल है। इन लोगों को दिए जाने वाले खाने में एडिटिव्स या कोई आर्टिफिशियल स्वीटनर्स शामिल नहीं होगा। हालांकि, इन लोगों को कभी-कभी ही मिठाई खाने को दी जाएगी।
एक कमरे में दो समहू में रहेंगेः चुने गए लोगों को एक ही कमरे में दो समूहों में रखा जाएगा। दो महीने के बेड रेस्ट के दौरान वे लोग हर काम और गतिविधि को करेंगे जो आदमी सामान्य रूप से करता है लेकिन सब कुछ सोकर ही करना होगा।
चाहे वह भोजन करना हो या फिर टॉयलेट जाना। इन लोगों को दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा। इन लोगों को टीवी, खाली समय की गतिविधियां के साथ ही पढ़ने लिखने का मैटिरियल भी दिया जाएगा।
नासा के इस प्रोजेक्ट से वैज्ञानिकों को रिसर्च में फायदा मिलने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए स्टडी में यह पता लग सकेगा कि अंतरिक्ष यात्री जब परिस्थिति विशेष में स्पेस के अंदर लंबा समय व्यतीत करते हैं तो इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
इससे अंतरिक्ष में लंबी अवधि तक रहने के बाद बोन डेंसिटी और रेडिएशन के दुष्प्रभाव के असर का पता लगाया जा सकेगा। कुल मिलाकर इस स्टडी से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर ईएसए और नासा को अंतरिक्ष यात्रियों पर आर्टिफिशियल ग्रेविटी के पड़ने वाले संभावित प्रभावों की जानकारी मिलने की उम्मीद है।