अमेरिकी सीनेट ने 9/11 हमले के पीडि़तों को मुआवजा देने से जुड़ा अहम बिल पास किया है। इस बिल के चलते हमले के पीडि़त मुआवजा पाने के लिए सऊदी अरब के खिलाफ केस कर सकेंगे। हालांकि माना जा रहा है कि ओबामा प्रशासन इस बिल के खिलाफ वीटो कर करेगा। इसका कारण है कि बिल के चलते अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते बिगड़ सकते हैं। सऊदी अरब भी इस बिल का विरोध करता रहा है। उसका कहना है कि अगर यह बिल कानून बना तो वह अमेरिका के 750 बिलियन डॉलर की संपत्ति बेच देगा।
इस बिल को ‘द जस्टिस अगेंस्ट स्पॉन्सर्स ऑफ टेररिज्म एक्ट’ (जेएएसटीए) नाम दिया गया है। अमेरिकी जांच एजेंसियों का कहना है कि 2001 में अलकायदा के आतंकी हमले में सऊदी अरब के लोगों का हाथ था। वहां की सरकार ने उन पर कार्रवाई नहीं की। 9/11 हमलों को लेकर सऊदी अरब जिम्मेदारी लेने से बचता रहा है। अभी इस बिल को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटटेटिव्स से हरी झंडी मिलनी बाकी है। वहां इस पर कब वोटिंग होगी, इसके लिए अभी तारीख तय नहीं हुई है। अगर यह कानून बन जाता है तो अमेरिकी सरकार की पीडि़तों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी। दो तरह के लोग मुआवजे का दावा कर सकेंगे। पहले वो जो इस हमले में घायल हुए थे। और दूसरे उन लोगों के रिश्तेदार जो हमले में मारे गए थे।
इस बिल के सबसे बड़े समर्थक डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर चार्ल्स शुमर हैं। उनका कहना है कि सीनेट के सभी मेंबर्स इस बिल को पास करना चाहते थे। पीडि़तों को इंसाफ मिलना चाहिए भले ही इसके लिए कोई देश जिम्मेदार क्यों न हो। उन्हें उम्मीद है कि यह बिल कानून बनेगा। इस बिल पर रिपब्लिकंस और डेमोक्रेट्स के बीच सहमति है। दोनों पार्टियां चाहती हैं कि यह बिल पास हो। 9/11 हमले के पीडि़तों के वकील जेम्स क्रेंडलर ने कहा कि इस बिल पर वीटो लाना ओबामा का पागलपन होगा।