भारत और कनाडा के बीच खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। अब इस विवाद में अमेरिका ने भी हस्तक्षेप कर दिया है। यह एक तरह से भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव का संकेत दे रहा है। अमेरिका ने कहा है कि कनाडा के आरोप बेहद गंभीर हैं और भारत को जांच में सहयोग करना चाहिए। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीतिक चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। ऐसा लगता है कि अमेरिका कनाडा का साथ देकर भारत पर अपनी शर्तें मनवाने का अप्रत्यक्ष दबाव बना रहा है।

अमेरिका का भारत पर कूटनीतिक दबाव

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने प्रेस ब्रीफिंग में साफ कहा कि कनाडा के आरोप गंभीर हैं और उन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने भारत को जांच में सहयोग करने की सलाह दी, लेकिन भारत ने इसे नकारते हुए अपने रास्ते पर चलने का फैसला किया। यह अमेरिका की ओर से भारत पर कूटनीतिक दबाव का प्रतीक है, जिससे भारत और कनाडा के रिश्तों के साथ-साथ भारत-अमेरिका संबंध भी प्रभावित हो सकते हैं। यह मामला अमेरिका की भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव नीति को उजागर करता है।

पहले भी अमेरिका ने भारत पर डाला था दबाव

यह पहली बार नहीं है कि अमेरिका ने भारत और कनाडा के तनाव पर कोई टिप्पणी की हो। पिछले साल भी जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंटों पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था, तब अमेरिका ने इस पर चिंता व्यक्त की थी। तब भी अमेरिकी प्रवक्ता मिलर ने कहा था कि भारत को कनाडा की जांच में सहयोग करना चाहिए। इसके बाद भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया था, जो राजनयिक स्तर पर एक बड़ा कदम था। उस समय भी अमेरिका की प्रतिक्रिया भारत पर दबाव डालने वाली थी।

राजनयिक संकट अब और भी गहरा हो गया है। कनाडा ने उच्चायुक्त समेत छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कार्यवाहक उच्चायुक्त समेत छह उच्च पदस्थ कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का आदेश दिया है। साथ ही भारत ने कनाडा से अपने दूत को वापस बुला लिया है। कनाडा के निष्कासन संबंधी बयान का खंडन करते हुए भारत ने कहा है कि उसने अपने दूत को कनाडा से वापस बुला लिया है। कनाडा के विदेश मंत्री मेलानी जॉली ने कहा कि उनके देश के नागरिकों को धमकाने और हत्या के प्रयासों में किसी भी विदेशी एजेंट की भागीदारी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस विवाद में अमेरिका का बयान यह दिखाता है कि वह भारत के खिलाफ दबाव बढ़ा रहा है, खासकर जब उसकी रणनीतिक साझेदारियां दांव पर हैं।

इस पूरे विवाद का मुख्य बिंदु हरदीप सिंह निज्जर की हत्या है, जिसे भारत ने आतंकवादी घोषित कर रखा था। निज्जर की कनाडा में हत्या के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए, जिसे भारत ने खारिज कर दिया। इस मामले में अमेरिका की ओर से लगातार बयान आते रहे हैं, जिससे यह साफ होता है कि अमेरिका इस मुद्दे को केवल कनाडा का नहीं, बल्कि अपने हितों से जुड़ा मानता है। इससे यह साफ होता है कि अमेरिका भारत पर कूटनीतिक दबाव बना रहा है, चाहे वह सहयोग के नाम पर हो या फिर जांच के नाम पर।

अमेरिका की यह स्थिति बताती है कि वह इस मामले में तटस्थ नहीं है, बल्कि कनाडा का समर्थन करते हुए भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डाल रहा है। यह मामला केवल भारत और कनाडा के बीच का नहीं रह गया है, बल्कि इसमें अब अमेरिका की कूटनीतिक चालें भी जुड़ गई हैं, जिससे भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।