भारत और अमेरिका 400 मिलियन डॉलर के खर्च से पूरे देश को सौर ऊर्जा से लैस करेंगे। अमेरिका ने इसके लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता मुहैया कराने का वादा किया है। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए दोनों देश 20-20 मिलियन डॉलर का सहयोग करेंगे। इस प्रोजेक्ट को US-India Clean Energy Finance Initiative कहा गया है।
बयान के अनुसार, यूएस भारत के बड़े वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर गैर परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाएगा। दोनों देशों के बीच 40 मिलियन डाॅलर की लागत वाले Catalytic Solar Finance Program के जरिए लो-लेवल गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों को मदद की जाएगी। इसे विशेष रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े गावों में चलाया जाएगा। साथ ही ग्रिड के नजदीक या उससे जुड़े गांवों को चुने जाने की उम्मीद है।
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दोनों देशों ने गैर परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए सहयोग किए जाने पर भी सहमति जताई है। दोनों देशों के बीच 30 मिलियन डॉलर के पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत स्मार्ट ग्रिड और ग्रिड स्टोरेज के क्षेत्र में रिसर्च के लिए एग्रीमेंट हुआ है।