अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के मुख्य अभियोजक का कहना है कि अमेरिकी सैन्य बलों द्वारा 2003-2004 के बीच अफगानिस्तान के बंदियों को प्रताड़ित करके युद्ध अपराध करने की संभावना है। अफगानिस्तान में हुए अत्याचार की लंबे समय से हो रही प्रारंभिक जांच के परिणाम को उजागर करते हुए सोमवार (14 नवंबर) को अभियोजक फताओ बेनसौदा ने कहा कि वह जल्द ही यह निर्णय लेंगी कि वह इसके लिए पूर्ण विकसित जांच को कहें और दुनिया के अकेले स्थायी युद्ध अपराध अदालत को अज्ञात जगहों पर ले जाएंगी। अभियोजक ने जोर देते हुए कहा कि 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण के द्वारा इस्लामी मिलिशिया को अपदस्थ करने के बाद तालिबान मिलिशिया और उसके सम्बद्ध संगठन हक्कानी नेटवर्क, अफगानिस्तान के सरकारी बल, अमेरकी सैनिक के साथ-साथ सीआईए सभी ने युद्ध अपराध किए हैं।

अभियोजक ने 2007 से दिसंबर 2015 तक के नृशंस विद्रोह के दौरान स्कूल, अस्पताल और मस्जिद पर हुए हमलों में कुल 17,000 आम नागरिकों के मौतों के लिए तालिबान के सहयोगियों को जिम्मेदार बताया है। लेकिन पहली बार बेनसौदा ने बुरे व्यवहार और प्रताड़ना वाले युद्ध अपराध का आरोप अमेरिकी सैन्य बलों और केंद्रीय खुफिया एजेंसी पर लगाया है जिनकी तैनाती अफगानिस्तान में थी। इन बातों पर विश्वास करने के लिए उचित आधार है कि बंदियों से पूछताछ के दौरान अमेरिकी सैन्य बलों के सदस्यों और अमेरिकी केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने उन्हें क्रूर तरीके से प्रताड़ित करने के साथ ही साथ बलात्कार भी किया हो। साथ ही, उन्होंने ऐसे तरीके अख्तियार किए जो युद्धअपराध के बराबर हैं।