अमेरिकी सेना में लड़ाकू सैनिक के तौर पर तैनात एक सिख जवान को दुर्लभ अपवाद के तहत अस्थायी धार्मिक रियायत मिल गई है, जिसके तहत उसे दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने की अनुुमति होगी। यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट ने दी है। द न्यूयार्क टाइम्स की खबर में कहा गया कि कैप्टन सिमरतपाल सिंह (27) को दस साल पहले वेस्ट पाइंट स्थित यूएस मिलिट्री एकेडमी में पहले दिन ही अपने बाल काटने पड़े थे क्योंकि सेवा में जवानों को लंबे बाल या दाढ़ी रखने की अनुमति नहीं थी। लेकिन पिछले हफ्ते सेना ने आखिरकार सिंह को धार्मिक रियायत दे दी। इसके तहत उसे अपनी दाढ़ी बढ़ाने और सिर पर पगड़ी बांधने की अनुमति होगी।
सिंह लड़ाकू इंजीनियरों के दल का नेतृत्व कर चुके हैं, जो अफगानिस्तान में सड़क किनारे लगे बमों को हटाता था। सिंह को ब्रोंज स्टार से सम्मानित भी किया जा चुका है। सिंह ने द टाइम्स से कहा कि यह शानदार है। मैं दोहरी जिंदगी जी रहा था। मैं सिर्फ घर पर ही पगड़ी पहनता था। मेरी दोनों दुनिया आखिरकर वापस एक साथ आ गई हैं। उन्होंने कहा- एक सच्चे सिख से उठकर खड़े होने की उम्मीद की जाती है ताकि वह उन लोगों की रक्षा कर सके, जो खुद अपनी रक्षा नहीं कर सकते। मैं सैन्य मूल्यों में इससे काफी समानता देखता हूं।
रिपोर्ट में कहा गया कि यह रियायत अस्थायी है और एक महीने तक चलनी है। सेना को ही यह तय करना है कि सिंह के अपवाद को स्थायी दर्जा दिया जाना चाहिए या नहीं। अगर सेना सिंह को यह धार्मिक रियायत स्थायी तौर पर देने के खिलाफ फैसला करती है तो कैप्टन को यह तय करना होगा कि उन्हें अपने बाल काटने हैं या फिर सेना छोड़नी है। सिंह ने कहा है- यह रियायत स्थायी नहीं की जाती है तो फिर वह अदालत में जाने के लिए तैयार हैंं।
रिपोर्ट में कहा गया कि दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है कि सेना ने सक्रिय ड्यूटी पर तैनात लड़ाकू सैनिक को दाढ़ी के लिए रियायत दी है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह कदम अपने धर्म के प्रति समर्पण दिखाने की इच्छा रखने वाले मुसलिमों और अन्य सैनिकों के लिए भी अवसर खोल सकता है। इस समय अमेरिकी सेना में तीन सिख हैं- मेजर कमलजीत सिंह कलसी, कैप्टन तेजदीप सिंह रत्तन और कारपोरल सिमरनप्रीत सिंह लांबा। कलसी आर्मी रिजर्व में डॉक्टर हैं। उन्हें 2009 में दाढ़ी बढ़ाने की अनुमति मिल गई थी। इन तीनों सिखों में से ऐसी अनुमति हासिल करने वाले वह पहले व्यक्ति रहे हैं।