अमेरिका ने बलूचिस्तान की आजादी की मांग को खारिज कर दिया है। अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि उनका देश पाकिस्तान की अखंडता व एकता का सम्मान करता है और बलूचिस्तान की आजादी का समर्थन नहीं करता। स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, ”सरकार की नीति है कि हम पाकिस्तान की राष्ट्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं।” किर्बी से बलूचिस्तान की आजादी व मानवाधिकारों के उल्लंघनल को लेकर पाकिस्तान के अंदर और बाहर हो रहे प्रदर्शनों को लेकर सवाल पूछा गया था।
उनसे पूछा गया, ”बलूचिस्तान पर अमेरिका का क्या रूख है? क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को उठाया है।” गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त पर लालकिले से दिए भाषण में पीओके, गिलगित व बाल्टीस्तान और बलूचिस्तान के लोगों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि वहां के लोगों ने उनकी समस्याओं को उठाने के लिए उनका धन्यवाद दिया है। पीएम मोदी के इस भाषण के बाद बलूच आजादी की मांग कर रहे कई नेताओं ने पीएम मोदी का आभार जताया था। साथ ही दुनिया के कई देशो में बलूच नेताओं ने बलूचिस्तान की आजादी और भारत के धन्यवाद के रूप में रैलियां निकाली थी। पिछले एक महीने में इस तरह की रैलियां अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, स्विट्जरलैंड और पाकिस्तान में हो चुकी हैं।
बलूच नेताओं ने दुनिया के बाकी देशों से भी समर्थन मांगा है। उनका कहना है कि पाकिस्तानी सेना खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है। वह महिलाओं और बच्चों पर भी अत्याचार कर रही है। कई बलूच नेताओं को अगवा किया जा चुका है। बलूचिस्तान के मारे गए राष्ट्रवादी नेता अकबर बुगती के पोते ब्रहमदग बुगती का कहना है कि भारत एक जिम्मेदार पड़ोसी की भूमिका निभाते हुए बलूचिस्तान में दखल दें और नरसंहार रुकवाए। पूर्वी पाकिस्तान में भारत की भूमिका को आदर से देखा जाता है। चाहते हैं कि भारत ऐसा ही कदम बलूचिस्तान के लिए भी उठाए। पीएम मोदी के भाषण के बाद बलूच नेशनल मूवमेंट के चेयरमैन खलील बलूच ने कहा था, ”बलूच लोगों को उम्मीद है कि अमेरिका और यूरोप भी पीएम मोदी के साथ होंगे और इंसानियत के खिलाफ हुए अपराधों पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराएंगे।”