पाकिस्तान में बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ रही है। पिछले दो दशकों में इसमें जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। फिलहाल पड़ोसी देश में अकाउंटिंग/फाइनेंस, सेल्स/ मार्केटिंग और आईसीटी सेक्टर्स में सबसे ज्यादा नौकरियां हैं, लेकिन फिर भी कुल 5 प्रतिशत आवेदक ही बेहतर नौकरी हासिल कर पाते हैं। तकनीकी व्यवधान, विनिर्माण क्षेत्र का समय से पहले दबाव में आना और वहां ग्रोथ रेट गिरने के कारण बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। मानवाधिकार संस्थाओं के मुताबिक पाकिस्तान में फिलहाल बेरोजगारी दर बहुत ज्यादा है। हर साल करीब 20 लाख युवा जॉब मार्केट में एंट्री करते हैं। हालांकि उनके पास इसे साबित करने के लिए कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन अनुमान के मुताबिक वहां बेरोजगारी दर 15 फीसदी है, जो 5.2 प्रतिशत के आधिकारिक से 3 फीसदी ज्यादा है। उनके मुताबिक इस मुद्दे को लंबे समय से दरकिनार किया गया, लेकिन अब इसपर सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए।
द डॉन ने एक अर्थशास्त्री के हवाले से लिखा कि दुनिया भर में लोग सबसे ज्यादा परवाह नौकरी की करते हैं। चाहे वह ब्रेग्जिट हो, अमेरिका में ट्रंप हों या कुछ और। अंत में नौकरियों का सवाल ही उठता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में तीन कारणों से जॉब पैदा करना जरूरी है। पहला शांति और विकास दूसरा लोकतंत्र के लिए निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार और तीसरा चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर की सफलता के लिए लोगों का समर्थन पाना। उन्होंने कहा कि बेरोजगार लोगों को नौकरी दिए बिना गरीबी और सामाजिक मुद्दों से निपटा नहीं जा सकता। उनके मुताबिक रियायतें और डायरेक्ट कैश ट्रांसफर सबसे अस्थायी तौर पर सबसे बेहतर राहत दे सकता है। एक लेबर अफेयर एक्सपर्ट का कहना है कि नौकरी न मिलने से पाकिस्तानी इकनॉमी की उत्पादकता पर असर और युवाओं में निराशा का भाव पैदा होता है। कमजोर सरकार के कारण प्रशासन श्रम कानूनों का मनमाने तरीके से उल्लंघन करते हैं।
एक सर्वे में 65 साल और उससे ज्यादा की उम्र तक नौकरी कर रहे लोगों के बारे में पता किया गया। इसके मुताबिक 0.16 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं। इसमें बिना नौकरी वाली महिलाएं 0.05 प्रतिशत हैं। 15-19 साल की उम्र के बीच बेरोजगारी सबसे ज्यादा 1.26 प्रतिशत है। इस सर्वे के मुताबिक कृषि सेक्टर 47.7 प्रतिशत लोगों को नौकरी देता है, जबकि 33.9 प्रतिशत सर्विस सेक्टर और 22.4 प्रतिशत इंडस्ट्री में नौकरी करते हैं।