अनोन्ना दत्त

ऑपरेशन गंगा के तहत C-17 ग्लोबमास्टर के माध्यम से 201 भारतीय नागरिकों को और दो कुत्तों को यूक्रेन से सुरक्षित रेस्क्यू कर भारत लाया गया। सुरक्षित रेस्क्यू होने वाले नागरिकों में हरजोत सिंह भी शामिल हैं, जिन्हें यूक्रेन में गोली लग गई थी। पोलैंड के बॉर्डर से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी की गई।

सोमवार को करीब 3 हजार लोगों को पोलैंड बॉर्डर के माध्यम से ऑपरेशन गंगा के तहत रेस्क्यू कर भारत लाया गया। जैसे ही C-17 विमान एयरपोर्ट पर पहुंचा, वहां पर तुरंत एंबुलेंस पहुंची और एंबुलेंस के माध्यम से हरजोत सिंह को धौलाकुआं के आर्मी रिसर्च एंड रिफेरल हॉस्पिटल में ले जाया गया। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (जो उसी उड़ान में बैठे थे) ने कहा कि, “हरजोत ठीक हैं। उन्हें निकालने में कुछ देरी हुई क्योंकि विन्नितसिया हवाई अड्डे पर हमला हुआ था, जिससे भारी जाम लग गया था। काफी मशक्कत के बाद यूक्रेन से हमारा दूतावास उन्हें निकालने में सफल रहा। वह लगभग साढ़े 4 बजे हवाई अड्डे पर पहुंचे थे।”

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि, “उन्हें रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में भेज दिया गया है। गोली के घाव का आर्मी हॉस्पिटल से अच्छा इलाज कोई नहीं कर सकता।” केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि, “अगर और लोग यूक्रेन के बॉर्डर पर पहुंचते हैं तो दूतावास के अधिकारियों को सीमा पर छोड़ दिया गया है। अब केवल उत्तर पूर्वी शहर सुमी को छोड़कर अधिकांश शहरों से भारतीयों को निकाल लिया गया है।

जब तक इस उड़ान ने उड़ान भरी, तब तक हम 3,000 बच्चों को निकाल चुके थे। अधिक लोग नहीं आ रहे थे। यहां तक ​​कि घुसपैठियों के लिए भी हमने विमान को रोक दिया। हो सकता है कि कुछ बच्चे ऐसे भी हों जो नहीं आए हों, इसलिए बॉर्डर चेक-पोस्ट पर दूतावास के लोग हों, ताकि कोई आए तो उन्हें घर लाया जा सके. संचालन के किसी भी समापन पर कोई घोषणा नहीं की गई है। लेकिन मुझे उन सभी छात्रों को वापस लाना था जो अंत तक हम तक पहुंचे। इसलिए, मैंने पोलैंड से आखिरी उड़ान भरी है, ”वीके सिंह ने कहा।

केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि, “जब तक इस उड़ान ने उड़ान भरी, तब तक हम 3000 बच्चों को निकाल चुके थे। अधिक लोग अब नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि अन्य लोगों के लिए भी विमान रोका गया था। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ बच्चे नहीं आए हो, इसलिए बॉर्डर चेक-पोस्ट पर दूतावास के लोग मौजूद हैं, ताकि कोई आए तो निकाला जा सके। ऑपरेशन की समाप्ति की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन मुझे उन सभी छात्र को वापस लाना था, जो अंत तक पहुंच गए हैं। इसलिए मैंने पोलैंड से आखिरी उड़ान भरी है।”

विमान में केरल के अखिल भी थे, जिन्होंने Hutchiko नाम के अपने 1.6 वर्षीय पालतू के साथ यात्रा की। 1 मार्च को अपने कुत्ते के साथ ट्रेन स्टेशन तक 10 किलोमीटर चलने से पहले वह खार्किव में पांच दिनों से अधिक समय तक फंसे रहें। भले ही अखिल बम विस्फोटों से डर रहे थे लेकिन उन्होंने खारकीव तब तक नहीं छोड़ा, जब तक उन्हें यह नहीं पता चला कि रेस्क्यू विमानों में जानवरों को निकालने की अनुमति दी जा रही है।

अखिल ने बताया कि, “वो (Hutchiko) मेरे परिवार का हिस्सा है। हम उसे पीछे नहीं छोड़ सकते। भोजन की कमी के कारण वह 3 दिन तक भूखा रहा, जब हम बाहर गए और दूध-रोटी ली, तब वह सो कर उठा। अगर भोजन होता तो सबसे पहले उसे मिलता, जो कुछ भोजन बचा था, उसे मैंने खा लिया था।”

बिहार के अजय कुमार की इस वर्ष जून में मेडिकल की शिक्षा पूरी हो गई होती। लेकिन अजय कुमार अपने साथी मेडिकल छात्रों की मदद करने के लिए 7 दिनों तक वहां रुके हुए थे। युद्ध शुरू होने के 4 दिन बाद उन्होंने राजधानी कीव को छोड़ दिया। सुरक्षित भारत पहुंचे अजय कुमार ने बताया कि, “यह काफी डरावना था। मैं अपनी इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल पर रहता था। इस इमारत के एक मिसाइल की चपेट में आने की सबसे अधिक संभावना है। एयरस्ट्राइक, सायरन और 200 मीटर दूर बनकर तक दौड़ना काफी डरावना था।”