पुतिन की सेना की बमबारी के बीच कीव के एक बेसमेंट में 19 सरोगेट बच्चे फंस गए हैं। हालांकि इनकी देखभाल केयरटेकर कर तो रहे हैं लेकिन इनकी जान पर लगातार खतरा मंडरा रहा है। इनके बायोलॉजिकल माता-पिता इनका हाल लेने भी नहीं आ पा रहे हैं। वो रूसी सेना की बमबारी से आने में डर रहे हैं। वैसे जिस तरह के भयावह हालात यूक्रेन में दिख रहे हैं उसमें कोई भी वहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।

रूस-यूक्रेन के बीच 18वें दिन भी जंग जारी है। दोनों में से कोई देश झुकने को तैयार नही है जिसके चलते इसका खामियाजा आम लोगों के साथ-साथ बच्चों को भी भुगतना पड़ रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक लगातार बमबारी से कीव शहर में तबाही मची हुई है। कई लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। इन सब के बीच ये मार्मिक घटना सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार बम धमाकों के बीच लुडमिला याशेन्को नवजातों को संभालने में जुटी हैं। वो एक तरफ बच्चों की देखभाल में जुटी हैं तो दूसरी तरफ टीवी के जरिए युद्ध का हाल भी ले रही हैं।

कीव के इस बेसमेंट में 19 नवजात हैं। सभी को सरोगेट मदर्स ने जन्म दिया है। जंग के बीच जिंदगी ने आंखें खोली हैं तो नई मुश्किलें भी साथ ही आई हैं। दूसरे देश के लोग भी सरोगेसी के जरिए बच्चे प्राप्त करने के लिए यूक्रेन में आते थे लेकिन युद्ध संकट के चलते अब नहीं आ पा रहे हैं। इन सरोगेट बेबीज का भविष्य अनिश्चित है, क्योंकि जंग के चलते अब यह तय नहीं कि जिनके वो वारिस है, वे मां-बाप कभी उन्हें लेने आएंगे या नहीं।

यूक्रेन में दुनिया में सबसे ज्यादा सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा किए जाते हैं। कानून के मुताबिक बच्चों के बॉयोलॉजिकल माता-पिता को अपना अधिकार हासिल करने के लिए खुद मौके पर मौजूद रहना जरूरी है। बच्चों की देखभाल कर रही नैनीज को पता नहीं कि बच्चों के बायोलॉजिकल पेरेंट्स अपने बच्चों से मिलने कब आएंगे। बच्चों को संभाल रही येशेन्को कहती हैं- मेरे पति यूक्रेन की तरफ से लड़ रहे हैं। वो चाहते हैं कि मैं यहां से दूर चली जाऊं पर मैं नहीं जा सकती। उनका कहना है कि वो काम को कैसे छोड़ दें।