तुर्की की सेना के अंसतुष्ट सैनिकों के एक गुट की ओर से तख्तापलट की कोशिश नाकाम होने के बाद राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने सत्ता पर अपना नियंत्रण बने होने का दावा किया, हालांकि 13 साल से उनके वर्चस्व में चलने वाली सरकार में पहली बार उनके लिए यह सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हुई। कई घंटों की अफरातफरी और हिंसा के बाद राष्ट्रपति ने इसके बारे में अनश्चितता खत्म की कि वह कहाँ हैं। वह सुबह के समय विमान से इस्तांबुल हवाईअड्डे पहुंचे और सैकड़ों समर्थकों ने उनका स्वागत किया। कल देर रात सैनिक और टैंक सड़कों पर उतर आए तथा आठ करोड़ की आबादी वाले इस देश के दो सबसे बड़े शहरों अंकारा और इस्तांबुल में सारी रात धमाके होते रहे। तुर्की नाटो का सदस्य है।

तख्तापलट की कोशिश के विफल होने के बाद आधिकारिक समाचार एजेंसी आंदालोेउ ने कहा कि तुर्की के बड़े शहरों में रातभर हुई हिंसा में कम से कम 90 लोग मारे गए हैं और 1,150 लोगों घायल हुए हैं। को हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों ने तख्तापलट की कोशिश नाकाम होने का दावा करते हुए कहा कि 1,560 से अधिक अधिकारियों को पकड़ा गया है और करीब 200 निहत्थे सैनिकों ने तुर्क सैन्य मुख्यालय में समर्पण करा दिया है।

एर्दोगन ने कहा कि उथल-पुथल खत्म होगी और सत्तारूढ़ जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) के समर्थकों की भीड़ इसे विफल करने के लिए सड़कों पर उतर आई।  एर्दोगन ने तख्तापलट के प्रयास की निन्दा की और इसे ‘‘विश्वासघात’’ बताया । उन्होंने कहा कि वह अपने काम कर रहे हैं और ‘‘अंत तक’’ काम करना जारी रखेंगे । उन्होंने हवाईअड्डे पर कहा, ‘‘जो भी साजिश रची जा रही है, वह देशद्रोह और विद्रोह है। उन्हें देशद्रोह के इस कृत्य की भारी कीमत चुकानी होगी।’’  उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने देश को उस पर कब्जे की कोशिश कर रहे लोगों के हाथों में नहीं जाने देंगे।’’