तुर्की में 12 दिन पहले आए भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा 46 हजार के भी पार पहुंच चुका है और कई लोग अभी भी लापता हैं। इस बीच खबर है कि बचाव अभियान में जुटी विभिन्न टीमें रविवार को रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर सकती हैं। विनाशकारी भूकंप को 296 घंटे बीत चुके हैं। 6 फरवरी को तुर्की में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके बाद 40 से अधिक आफ्टरशॉक्स आए, जिसमें तुर्की और पड़ोसी सीरिया में इमारतों के मलबे में हजारों लोग दब गए।

भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में श्वास संबंधी समस्याओं की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री फहार्टिन कोका ने कहा कि आंतों और श्वसन संक्रमण में वृद्धि हुई है। हालांकि, मरीजों की संख्या फिलहाल गंभीर स्थिति तक नहीं पहुंची है।

तुर्की के डिजास्टर एंड इमरजेंसी मैनेजमेंट अथॉरिटी (एएफएडी) के प्रमुख यूनुस सेजर ने कहा कि रविवार रात को बचाव अभियान को बंद किया जा सकता है क्योंकि अब भूकंप के 12 दिन बाद लोगों के जीवित मिलने की उम्मीद काफी कम है। भूकंप से तुर्की में मरने वालों की संख्या 40,402 है, जबकि पड़ोसी सीरिया में 5,800 से अधिक लोगों की मौत हुई है।

भारत ने भी भेजी थी एनडीआरएफ की टीमें

भारत की ओर से भी एनडीआरएफ की टीमें तुर्की भेजी गई थीं। भारत ने आपातकालीन राहत सामग्री भेजी थी, जिसमें जीवन रक्षक दवाएं और प्रभावितों की मदद के लिए कई सामग्री थीं। इनकी कीमत 7 करोड़ से अधिक बताई गई है। एनडीआरएफ के अलावा भारतीय सेना की टीमें भी तुर्की और सीरिया में लोगों की भूकंप प्रभावित इलाकों में मदद कर रही हैं। सेना ने 30 बैड का अत्याधुनिक अस्पताल भी तैयार किया है। इसकी काफी तारीफ हो रही है।

वहीं, किर्गिस्तान के बचावकर्मियों ने शनिवार को दक्षिणी तुर्की के अंताक्या शहर में एक इमारत के मलबे से पांच लोगों के एक सीरियाई परिवार को बचाने की कोशिश की। इसमें एक बच्चे समेत तीन लोगों को जिंदा बचा लिया गया। रॉयटर्स ने बताया कि मां और पिता बच गए लेकिन बाद में डिहाइड्रेशन के कारण बच्चे की मौत हो गई।