अफगानिस्तान के पूर्वी कुनार प्रांत में अमेरिका के ड्रोन हमले में पाकिस्तानी तालिबान का प्रमुख मौलाना फजलुल्लाह मारा गया। मीडिया में आज (15 जून) आई खबरों में यह दावा किया गया है।अमेरिकी सेना ने कल कहा कि उसने अफगानिस्तान में एक बड़े आतंकवादी को निशाना बनाते हुए हमला किया। उसने आतंकवादी की पहचान नहीं बताई।पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि दंगम जिले के नुर गुल काले गांव में हुए ड्रोन हमले में फजलुल्लाह और तहरीक-ए-तालिबान के चार अन्य कमांडर मारे गए। वॉयस ऑफ अमेरिका की खबर में कहा गया है कि स्थानीय लोगों की अपुष्ट रिपोर्टों के मुताबिक, फजलुल्लाह मारा गया है।पेंटागन के अधिकारियों ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि हमला सफल रहा या नहीं।

खबर में एक सूत्र के हवाले से कहा गया है कि जब अमेरिकी ड्रोन ने हमला किया तो फजलुल्लाह और उसके कमांडर इफ्तार पार्टी कर रहे थे। अमेरिका ने यह हमला तब किया है जब अफगान तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच रमजान के पाक महीने के खत्म होने तक संघर्षविराम की सहमति बनी हुई है। बहरहाल, टीटीपी ने ड्रोन हमले में अपने प्रमुख की मौत की पुष्टि नहीं की है। फजलुल्लाह ने 2013 में इस संगठन की कमान संभालने के बाद से अमेरिका और पाकिस्तान के खिलाफ कई हाई प्रोफाइल हमले किए हैं जिनमें दिसंबर 2014 में पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला भी शामिल है। इस हमले में 130 बच्चों समेत 151 लोग मारे गए थे।

अमेरिका ने यह भी कहा कि फजलुल्ला ने 2012 में मलाला यूसुफजई की हत्या का भी फरमान दिया था। बात 2012 की है तब पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई 15 साल की थी। मलाला पढ़ाई लिखाई की पक्षधर थी। रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी फजलुल्लाह ने मलाला की स्कूल बस रुकवाई, और इस पर सवार हुआ। बस में बैठे बच्चों से इसने पूछा मलाला कौन है। एक लड़की ने डटकर जवाब दिया- मैं हूं। इसके बाद इस निर्दयी आतंकी ने उसके सिर में गोली मार दी। हालांकि मलाला जिंदा बच गई। 2014 में मलाला को भारत के कैलाश सत्यार्थी के साथ नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बता दें कि अमेरिका ने फजलुल्लाह को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था और उस पर 50 लाख डॉलर का इनाम था।