पाकिस्तान में काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियालॉजी की ओर से पत्नियों को पीटने का प्रस्ताव के विरोध में महिलाएं उतर आई हैं। इसके तहत वहां पर #TryBeatingMeLightly कैम्पेन शुरू हुआ है। इस कैंपेन में फोटोग्राफर फहाद राजपर ने 12 महिलाओं की फोटो सीरीज जारी की है। इस सीरिज में इस प्रस्ताव पर उनकी राय ली गई है।
डॉक्टर शगुफ्ता अब्बास ने लिखा है- मुझे पीट कर तो देखो! जो हाथ मुझ पर उठाओगे उसे तोड़कर तुम्हें अल्लाह के भरोसे छोड़ दूंगी। मैं जुल्म को बर्दाश्त करने वाली नहीं हूं। ब्लॉगर सादिया अजहर राब्या अहमद ने लिखा है- हमारा चैलेंज है कि पुरुष तो हमें अपने इंटेलिजेंस से पछाड़ें। हम महिलाएं सूरज की तरह हैं। अगर हाथ लगाने की कोशिश भी की तो जलाकर राख देंगे। लेखिका अदीका लालवानी लिखती हैं- मुझे पीटने की कोशिश तो करके देखिए, मैं तुम्हारे लिए तबाही बन जाऊंगी। प्रियंका पाहुजा ने लिखा- मुझे ड्राइविंग का 7 साल का अनुभव है। ऐसी हरकत की तो तुम्हें कार से रौंद दूंगी।
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सोशल मीडिया मैनेजर सुंबुल उस्मान लिखती हैं- मुझ पर हाथ भी उठाया तो तुम अगली सुबह देखने के लिए जिंदा नहीं बचोगे। फिजा रहमान ने कहा- तुम मुझे घर में पीटोगे, लेकिन मैं तुम्हें लोगों के बीच ले जाकर पीटूंगी। एक स्कूल टीचर संदस रशीद लिखती हैं अगर मुझे पीटा तो तुम्हारी बाकी जिंदगी दयनीय बना दूंगी और इसके लिए तुम खुद जिम्मेदार होगे।
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गौरतलब है कि काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियालॉजी पाकिस्तान की संवैधानिक संस्था है। यह संसद को कानून बनाने की सलाह देती है। हाल ही में उसने अपनी सिफारिशों में कहा था कि अगर औरत पति का कहना न माने, उसके मुताबिक कपड़े न पहने, फिजिकल होने से मना करे तो पति उसे हल्के से पीट सकता है। साथ ही गर्भधारण के 120 दिन बाद अबॉर्शन करवाने को हत्या करना माना जाए। सिफारिशों में कहा गया है कि महिलाएं हिजाब न पहने, अजनबियों से बात करें, ज्यादा ऊंची आवाज में बोलें और शौहर की इजाजत के बिना किसी को पैसे दें तो शौहर पिटाई कर सकता है। महिला नर्सें पुरुष मरीजों का ध्यान नहीं रख सकतीं।
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