India Boycott Turkey: भारत और पाकिस्तान के तनाव में तुर्की के रुख ने उसे मुश्किल में ला दिया है। तुर्की का रवैया हमेशा से ही जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ रहा है। उसके शीर्ष नेतृत्व ने हमेशा ऐसी बयानबाजी की है कि उसे भारत के खिलाफ ही माना गया है। इस बार पहलगाम हमले के बाद तो पाकिस्तान के साथ तुर्की की दोस्ती और ज्यादा खुलकर सामने आई है। लेकिन यही दोस्ती इस बार उसकी इकोनॉमी के लिए एक खतरे की घंटी भी बन सकती है।

पाक के साथ याराना कैसे पड़ेगा भारी?

असल में भारत में एक मुहिम तेज हो चुकी है, तुर्की के सामान को बहिष्कार करने की। अब माना जा रहा है कि भारत का यह रुख तुर्की को भयंकर नुकसान दे सकता है। ऐसा भी इसलिए क्योंकि तुर्की की भारत पर निर्भरता काफी ज्यादा चल रही है। इसके ऊपर उसकी आर्थिक सेहत पिछले कई सालों से खस्ता चल रही है, ऐसे में उसका पाकिस्तान के साथ याराना अब मुश्किल में डाल सकता है।

तुर्की का पर्यटन हो जाएगा बर्बाद

भारत से पंगा लेकर तुर्की को सबसे बड़ा असर तो अपने पर्यटन क्षेत्र में पड़ने वाला है। यहां पर यह समझने की जरूरत है कि तुर्की की अर्थव्यवस्था टूरिज्म पर जरूर से ज्यादा निर्भर है, वहां की सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि तुर्की की कुल जीडीपी का 12% हिस्सा तो पर्यटन से आता है। तुर्की के लोगों का सबसे बड़ा रोजगार का जरिया भी पर्यटन का क्षेत्र ही है। कुल रोजगार का 10 प्रतिशत हिस्सा पर्यटन से आ रहा है।

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अब यहां भी तुर्की को भारत से काफी ज्यादा रेवेन्यू मिलता है, EaseMyTrip के फाउंडर ओर अध्यक्ष निशांत पिट्टी के मुताबिक पिछले साल 287000 भारतीय तुर्की घूमने गए थे, ऐसे में अगर भारत पूरी तरह से तुर्की का बायकॉट कर देगा, उस स्थिति में उसके पर्यटन सेक्टर को जबरदस्त मार पड़ेगी। कुछ टाइम पहले मालदीव के साथ भी ऐसा हो चुका है जब भारत ने लक्ष्यद्वीप की बेज्जती का बदला मालदीप को बायकॉट कर लिया था।

तुर्की पर भारत कर सकता है ‘एप्पल स्ट्राइक’

वैसे तुर्की भारत पर सिर्फ पर्यनट के लिए निर्भर नहीं है, यहां का सेब भी हिंदुस्तान में काफी खाया जाता है। हिमाचल से लेकर कई राज्यों में इसकी काफी डिमांड रहती है। लेकिन भारत-पाक तनाव के बीच बाजार से तुर्किश सेब भी गायब हो चुके हैं, मांग तक यहां की जा रही है कि पूरी तरह इन पर बैन लगा दिया जाए। आंकड़ों में बात करें तो भारत दुनिया के 40 मुल्कों से 3 लाख से 5 5 लाख टन तक सेब मंगवाता है, वहां भी तुर्की से तो 2023-24 में देश ने 1 लाख 60 हजार टन सेब मंगवाए थे। अगर तुर्की पर भारत ‘एप्पल स्ट्राइक’ कर देता है तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

तुर्की पर हो सकती है भारत की ‘मार्बल स्ट्राइक’

वैसे एप्पल स्ट्राइक के साथ मार्बल स्ट्राइक भी तुर्की को बर्बाद कर देगी। मार्बल का सबसे बड़ा व्यापार केंद्र माने जाने वाला उदयपुर अब तुर्की से ही मार्बल आयात नहीं करने वाला है। असल में उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स कमेटी के अध्यक्ष कपिल सुराना ने दो टूक कहा है कि जब तक तुर्की पाकिस्तान को समर्थन देगा, उसके साथ कोई व्यापार नहीं किया जाएगा। अब जानकारी के लिए बता दें कि भारत तुर्की से 14 से 10 टन तक मार्बल साल का आयात करता है, इसे कुल संख्या का 70 फीसदी माना जाएगा। तुर्की को इससे 2500 से 3000 करोड़ तक का फायदा पहुंचता है। लेकिन एक दोस्ती उसे अब इस फायदे से भी वंचित कर सकती है।

तुर्की के दुश्मन भारत के बन रहे दोस्त

अब व्यापार के जरिए तो भारत तुर्की को सबक सिखा ही सकता है, इसके अलावा कूटनीति के सहारे भी उसे पूरी तरह आइसोलेट किया जा सकता है। कहा जा सकता है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, भारत भी इसी सिद्धांत पर चलते हुए तुर्की को झटका दे सकता है। इस समय भारत ने रणनीति के तहत ग्रीस, अर्मेनिया और Cyprus के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने का काम किया है। ग्रीस के साथ तो कई अहम रक्षा सौदे किए गए हैं। दो साल पहले 2023 में भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने ग्रीस की Hellenic Air Force के साथ संयुक्त अभ्यास किया था। इसके ऊपर अब तो ग्रीस के साथ नौसैनिक सहयोग बढ़ाने पर भी फोकस किया जा रहा है।

अर्मेनिया को हथियार, तुर्की को तेवर

यहां पर समझने वाली बात यह है कि तुर्की भी अपनी नेवी को मजबूत करने में लगा हुआ है, ईस्टर्न मेडिटेरियन में वो अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, उसका ऐसा करना ही ग्रीस और Cyprus जैसे देशों को रास नहीं आ रहा और भारत इसी बात का फायदा उठा रहा है। वो इन दोनों ही देशों के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है जो सीधे-सीधे तुर्की को मिर्ची लगाने वाला है। वैसे ऐसा ही एक कूटनीतिक प्रयोत तो भारत अर्मेनिया के साथ भी कर रहा है, हाल ही में उसकी तरफ से तुर्की के दुश्मन देश को पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर दिए गए हैं, एंटी टैंक मिसाइल भी दी गई हैं। अब समझने वाली बात यह है कि अर्मेनिया और अजरबैजान की जंग में तुर्की ने खुलकर अजरबैजान का समर्थन किया था। ऐसे में भारत ने अर्मेनिया को सपोर्ट कर तुर्की को ही तेवर दिखा दिए हैं।

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