यूरोप के देश आइसलैंड में महिला कर्मचारियों को पुरुषों के मुकाबले कम सैलरी दी जाती है, जिसके लिए सोमवार को उन्होंने एक विशेष ढंग से विरोध किया। सोमवार को पूरे देशभर से हजारों महिला कर्मचारी दोपहर 2:38 मिनट पर अपना काम बंद करके दफतर से निकल गईं। इसके बाद उन्होंने सड़क पर प्रदर्शन किया। ठीक 2:38 मिनट पर काम बंद करने के पीछे भी एक कारण छिपा था। दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 14-18 फीसदी कम सैलरी दी जाती है। इसका सीधा मतलब था कि ये महिलाएं 8 घंटे की शिफ्ट में 2:38 मिनट के बाद मुफ्त में काम करती हैं।
वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट के मुताबिक, लैंगिक समानता के मामले में आइसलैंड सबसे ज्यादा रैंकिंग वाले देशों में से एक है। लेकिन इस विरोध प्रदर्शन से साफ पता लगता है कि लैंगिक समानता के क्षेत्र में अभी बहुत काम होना बाकी है। एक रिपोर्ट की मानें तो विश्व स्तर पर कमाई के मामले में महिलाओं को पुरुषों के बराबर पहुंचने में अभी 170 साल लगेंगे, वहीं आइसलैंड में महिलाओं को पुरुषों के बराबर सैलरी मिलने में 52 वर्ष का समय लग सकता है।
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आइसलैंड की एक श्रम संस्था ASI के प्रेसिडेंट Gylfi Arnbjornsson ने कहा, “50 साल का इंतजार काफी लंबा समय है। कोई भी अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इतना इंतजार नहीं करेगा। इससे फर्क नहीं पड़ता कि यह जेंडर पे गैप है या कुछ और, लेकिन यह बिलकुल भी स्वीकार्य नही हैं कि इसे संतुलित करने में 50 साल लगेंगे। यह किसी के लिए भी उम्र बीत जाने जितना होगा।” देखिए ट्विटर पर डाली गई विरोध प्रदर्शन की वीडियो-
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Women in Iceland come together to fight for equality, shouting OUT #kvennafrí #womensrights pic.twitter.com/vTPFwfSoVk
— Salka Sól Eyfeld (@salkadelasol) October 24, 2016