ब्रिटिश टेब्‍लॉयड ‘द सन’ के सर्वे पर विवाद हो गया है। पेरिस हमलों के बाद कराए गए सर्वे में अखबार ने दावा किया कि हर 5वां ब्रिटिश मुस्लिम ‘जिहादियों के प्रति सहानुभूति’ रखता है। ‘द सन’ ने ‘1 in 5 Brit Muslims sympathy for jihadis’ शीर्षक के साथ फ्रंट पेज पर सर्वे को जगह दी है। इसके मुताबिक, 19 प्रतिशत ब्रिटिश मुसलमान उन मुस्लिम कट्टरपंथियों युवाओं के प्रति सहानुभूति रखते हैं, जो यूके छोड़कर सीरिया में लड़ने चले गए हैं। सर्वे पर मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन ने सख्‍त ऐतराज जताया है।

ब्रिटेन के ‘प्रेस इंडस्‍ट्री वॉचडॉग’-इंडिपेंडेंट प्रेस स्‍टेंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (IPSO) के पास सर्वे के खिलाफ अब तक रिकॉर्ड 450 शिकायतें आ चुकी हैं। इससे पहले ‘डेली मेल’ के एक कार्टून को लेकर भी IPSO को काफी शिकायतें मिली थीं, जिसमें मुस्लिम शरणार्थियों को चूहों के साथ यूरोप की सीमा में घुसते हुए दिखाया गया था। बहरहाल, विवादित हेडलाइन से इतर ‘द सन’ की सर्वे रिपोर्ट यह भी बताती है कि ब्रिटेन में रहने वाले 20 लाख 70,000 मुस्लिमों में अधिकतर मॉडर्न हैं। इसके अलावा ‘जिहादियों के प्रति सहानुभूति’ रखने वालों की संख्‍या में कमी आने की बात भी कही गई है। ‘स्‍काई न्‍यूज’ की ओर से मार्च में कराए गए सर्वे में 61 प्रतिशत ब्रिटिश मुस्लिमों ने जिहादियों के प्रति किसी प्रकार की सहानुभूति नहीं होने की बात कही थी, जबकि ताजा सर्वे में यह आंकड़ा 71 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन के सेक्रेटरी जनरल डॉक्‍टर शुजा शफी ने कहा कि अखबार की हेडलाइन भड़काउ है और इसमें जो तथ्‍य पेश किए गए हैं उनका मकसद सनसनी फैलाना है। अधिकांश मुस्लिमों के लिए इस सर्वे पर भरोसा कर पाना मुश्किल है। उन्‍होंने कहा, ‘ब्रिटेन के करीब 30 लाख मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ हैं।’ डॉक्‍टर शफी ने कहा कि न जाने कितने सर्वे इस बात को साबित कर चुके हैं कि लगभग हर ब्रिटिश मुसलमान ने यह माना है कि अगर उन्‍हें किसी प्रकार की हिंसा से जुड़ी जानकारी मिलती है, तो वे पुलिस को रिपोर्ट करेंगे। उन्‍होंने कहा कि ‘द सन’ ने जो हेडलाइन लगाया है वह भ्रामक है, इससे समस्‍या सुलझेगी नहीं। डॉक्‍टर शफी ने कहा कि आईएसआईएस की रणनीति समुदायों को बांटने की है, लेकिन हम उन्‍हें सफल नहीं होने देंगे।

वहीं, IPSO के पास आई शिकायतों में ‘द सन’ की हेडलाइन में इस्‍तेमाल किए गए शब्‍द ‘सहानुभूति’ पर कई लोगों ने ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि इस शब्‍द के कई मतलब निकाले जा सकते हैं, यह बात स्‍पष्‍ट नहीं करता है। वहीं, कुछ लोगों ने ऐसी शिकायत भी की है कि अखबार ने अपनी रिपोर्ट में तो ‘जिहादी’ शब्‍द का इस्‍तेमाल किया है, लेकिन टेलिफोन पोल के दौरान इसका प्रयोग नहीं किया था। ब्रिटिश अखबार ‘द इंडिपेंडेंट’ ने लिखा है कि ‘द सन’ ने अपनी फ्रंट पेज स्‍टोरी में एक कॉलम को भी लिंक किया है, जिसका शीर्ष है “This shocking poll means we must shut door on young Muslim migrants.” यानी ‘इस हैरान करने वाले पोल का मतलब यह है कि हमें मुस्लिम युवाओं को देश छोड़ने से रोकना होगा।’

विवाद पर अखबार ने दी है ये सफाई
‘द सन’ के प्रवक्‍ता ने इस पूरे विवाद पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सर्वे रिपोर्ट में जो भी तथ्‍य पेश किए गए हैं, उन्‍हें झुठलाया नहीं जा सकता है। प्रवक्‍ता ने कहा, ‘अगर ब्रिटिश मुस्लिम वापस शांति के मार्ग पर आते हैं और आईएसआईएस की निंदा करते हैं तो हम सभी को खुशी होगी, लेकिन दुर्भाग्‍य से ऐसा नहीं हो रहा है। ब्रिटिश मुस्लिमों का एक वर्ग आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखता है। जिस दिन हम इस बात को स्‍वीकार कर लेंगे, उस दिन ब्रिटेन इस समस्‍या के साथ ज्‍यादा प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम होगा।’

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ब्रिटिश टेब्‍लॉयड ‘द सन’ की इसी फ्रंट पेज स्‍टोरी पर हुआ है विवाद।

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