दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के सिर्फ एक राज्य- आचे में शरिया कानून लागू है। यहां ढेर सारे अपराधों के लिए कोड़े मारने की सजा का प्रावधान है। जुआ खेलने, शराब का सेवन करने से लेकर गे-सेक्स पर भी लोगों को सरेआम कोड़े मारने की सजा सुनाई जाती है। एएफपी के अनुसार, राज्य के इस्लामिक नियमों को तोड़ने पर सोमवार को एक नौजवान महिला को भीड़ के सामने कोड़े मारे गए। यह महिला 21-30 साल के बीच के उन सात पुरुषों और छह महिलाओं में से एक थी, जिनपर सोमवार को राजधानी बंदा आचे की एक मस्जिद में कोड़े बरसाए गए। यह सब हुआ और कोड़े मारने के लिए उकसाती भीड़ की शह पर। एक तरफ वह महिला कोड़ों के दर्द से कराह रही थी, दूसरी तरफ सजा देखने के लिए जमा हुए लोग कोड़े मारने वालों का उत्साह बढ़ा रहे थे। छह कपल्स को अविवाहित लोगों के एक-दूसरे को छूने, गले लगाने और किस करने पर प्रतिबंध वाले इस्लामिक नियमों को तोड़ने का दोषी पाया गया। एक पुरुष को कम गंभीर अपराध के लिए कोड़े मारने की सजा सुनाई गई। उसका अपराध था कि उसने इस्लामिक प्रतिबंध (किसी गुप्त जगह पर दूसरे लिंग के व्यक्ति के साथ इस तरह वक्त बिताना जिससे व्याभिचार की संभावना हो) का उल्लंघन किया था।
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एक 22 साल की महिला पर कोड़े बरसाए जाने थे, मगर उसे गर्भवती होने की वजह से तात्कालिक छूट दे गई है, लेकिन आचे के डिप्टी मेयर जैनल अरिफिन ने कसम खाई है: ”बच्चे को जन्म देने के बाद उसे सजा दी जाएगी।” अधिकारी ने कहा कि उसे उम्मीद है कि बेंत मानने की सजा डेटरेंट (रोकने वाला) की तरह काम करेगी- ”हमें उम्मीद है कि बंदा आचे में अब ऐसा कोई नहीं है जो भविष्य में कानून तोड़ेगा।” आचे में कोड़े की सजा पाने वालों की संख्या में रोज बढ़ाेत्तरी हो रही है। हाल के दिनों में महिलाओं को कोड़े मारने की सजाओं में तेजी देखी गई है।
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सुमेरिया द्वीप पर स्थिच आचे ने 2001 में विशेष स्वायत्तता मिलने के बाद शरिया कानून लागू करना शुरू किया। जकार्ता की केन्द्र सरकार ने यह कदम लंबे समय से चली आ रहे अलगाववादी विद्रोह को दबाने के लिए उठाया था। 2005 में केन्द्र सरकार से एक शांति समझौता उलझ जाने के बाद राज्य में इस्लामिक कानून और सख्त कर दिए गए हैं। 90 प्रतिशत से ज्यादा इंडोनेशियाई खुद को मुस्लिम बताते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग आस्था के उदारवादी रूप में विश्वास रखते हैं।