US-China Trade Deal: जेनेवा में अमेरिका और चीन के बीच में सबसे बड़ी ट्रेड डील हो गई है। व्हाइट हाउस ने खुद इस बात की जानकारी दी है। यहां तक कहा गया है कि जितना समय सोचा गया था, उससे पहले यह डील पक्की हुई है। इसे लेकर विस्तृत जानकारी बाद में जारी की जाएगी।
ट्रेड डील के बारे में क्या जानकारी?
इस ट्रेड डील के बारे में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि कितनी जल्दी हम यह एग्रीमेंट कर पाए हैं, यह अपनेआप में दिखाता है कि हम मतभेदों को जितना बड़ा समझ रहे थे, असल में वो उतने थे नहीं। लेकिन फिर भी यहां बताना जरूरी है कि पिछले दो दिनों में काफी काम किया है, काफी ग्राउंड वर्क हुआ है। जानकारी के लिए बता दें कि स्विट्जरलैंड में पहली बार अमेरिका और चीन के प्रतिनिधि मिले थे, जब से राष्ट्रपति ट्रंप ने 145 फीसदी का टैरिफ बम फोड़ा था, ये मुलाकात और ज्यादा जरूरी हो चुकी थी।
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ट्रंप के तेवर पड़े थे नरम
वैसे इस ट्रेड डील से पहले राष्ट्रपति ट्रंप के तेवर भी नरम पड़ने शुरू हो चुके थे। उन्होंने कहा था कि वे चीन पर 80 फीसदी तक टैरिफ रख सकते हैं, यह अलग बात रही कि अभी तक किसी भी पक्ष ने इसे लेकर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया। यहां पर समझने वाली बात यह भी है कि राष्ट्रपति ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ की परिभाषा कुछ अलग दिखाई देती है।
रेसिप्रोकल टैरिफ से ट्रेड डेफिसिट तक
बात पहले समान टैरिफ लगाने की हो रही थी, लेकिन धीरे-धीरे व्यापार घाटा कम करने की ओर शिफ्ट हो गई। इसी वजह से कहा गया कि राष्ट्रपति ट्र्ंप ने असल में किसी भी देश पर रेसिप्रोकल टैरिफ नहीं लगाया, उन्होंने सिर्फ उन देशों के साथ व्यापारिक घाटा संतुलित करने की कोशिश की।
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