Thailand-Cambodia War News: शिव मंदिर को लेकर पिछले कई दिनों से कंबोडिया और थाईलैंड के बीच में जंग छिड़ी हुई है, राष्ट्रपति ट्रंप दावा जरूर कर रहे हैं कि जल्द ही सीजफायर को लेकर सहमति बनने वाली है, लेकिन जमीन पर स्थिति अभी भी विस्फोटक बनी हुई है। इस युद्ध का एक दिलचस्प पहलू यह भी दिख रहा है कि कमजोर दिख रहे कंबोडिया ने जबरदस्त कमबैक किया है, थाईलैंड के सामने उसकी सेना कहीं नहीं टिकती, उसकी वायुसेना भी इतनी सशक्त नहीं है, लेकिन फिर भी अब कंबोडिया भारी पड़ता दिख रहा है।
कंबोडिया की सबसे बड़ी ताकत
कंबोडिया अपनी मिसाइलों के दम पर थाईलैंड को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है। कहने को उसकी सैन्य ताकत कहीं नहीं टिकती है, लेकिन फिर भी कुछ मिसाइलों के दम पर वो थाईलैंड को काफी क्षति पहुंचा रहा है। यहां भी सबसे ज्यादा चर्चा रूसी रॉकेट सिस्टम BM-21 की हो रही है, इसी के दम पर कंबोडिया लगातार थाईलैंड पर हमला कर रहा है। एक साथ की मिसाइलें दाग रहा है।
अब जिस रॉकेट के दम पर कंबोडिया अपनी वापसी की बात कर रहा है, वो मात्र 6 सेकेंड में 40 रॉकेट दागने की क्षमता रखता है। इस रॉकेट के दम पर एक बार में ही दुश्मन के टैंक, आर्टिलरी या सैन्य और हथियार ठिकानों को ध्वस्त किया जा सकता है। इस मिसाइल को ट्रक के जरिए लॉन्च किया जाता है और एक बार जब मिसाइलें दाग दी जाती हैं, इसे फिर लोड करने में 10 मिनट का समय लग जाता है।
जानकार बताते हैं कि इस रॉकेट सिस्टम से दागी गई मिसाइल 75 किलोमीटर की स्पीड से दुश्मनों पर वार करती है, लेकिन इसका सीमाई झड़पों में ज्यादा इस्तेमाल नहीं दिखता। लेकिन अब क्योंकि कंबोडिया इसी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा थाईलैंड के खिलाफ कर रहा है, ऐसे में माना जा सकता है कि कंबोडिया काफी आक्रमक हो चुका है, वो हर कीमत पर थाईलैंड को हराना चाहता है।
थाईलैंड के पास क्या ताकत?
वैसे कंबोडिया सिर्फ इस एक रॉकेट सिस्टम पर जरूरत से ज्यादा निर्भर है, लेकिन थाईलैंड के पास ज्यादा सशक्त सैन्य ताकत है। 2025 के ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक थाईलैंड की सैना 24वें स्थान पर आती है, वहीं कंबोडिया बहुत दूर 83वें स्थान पर है। सक्रिय सैनिकों की बात करें तो थाईलैंड के पास 3.6 की संख्या है, वहीं कंबोडिया के लिए यहीं आंकड़ा सिर्फ 1.7 लाख बैठता है।
आधुनिक हथियारों की बात करें तो थाईलैंड तो 40-50 F-16 लड़ाकू विमान, SAAB ग्रिपेन जेट, 100 से अधिक हेलिकॉप्टर से लैस है। उसकी थल सेना में भी 200 से ज्यादा आधुनिक टैंक मौजूद हैं, नौसेना के पास भी एक एयरक्राफ्ट कैरियर, सात फ्रिगेट्स, एक पनडुब्बी और 20 से युद्धपोत मौजूद हैं। लेकिन कंबोडिया यहां भी कहीं नहीं टिकता है। वो तो आज भी चीनी निर्मित हेलिकॉप्टर Mi-8 और Z-9 पर निर्भर है। उसके पास तो कोई युद्धपोत भी नहीं है।
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