तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर नई अफगान सरकार का नेतृत्व करेंगे। इस सरकार की घोषणा बहुत जल्द होने वाली है। बरादर उन चार लोगों में से एक हैं, जिन्होंने 1994 में तालिबान का गठन किया था। साल 2001 में जब अमेरिकी नेतृत्व में अफ़ग़ानिस्तान में फौज ने कार्रवाई शुरू की तो मुल्ला बरादर की अगुवाई में विद्रोह की खबरें आई थी। जिसके बाद अमेरिकी सेना उन्हें ढूंढ रही थी। लेकिन वे तब पाकिस्तान भाग गए थे।
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का जन्म 1968 में अफगानिस्तान में हुआ। बरादर तालिबान के दूसरे नंबर के नेता हैं। 1996 से 2001 तक जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर राज किया, तब मुल्ला बरादर ने अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि, 2001 में अमेरिका के अफगानिस्तान में हमले के बाद से वह अफगानिस्तान छोड़कर भाग गए थे। फ़रवरी 2010 में अमेरिका ने उन्हें पाकिस्तान के कराची शहर से गिरफ़्तार किया। 2012 तक अफ़ग़ानिस्तान सरकार शांति वार्ता को बढ़ावा देने के लिए जिन कैदियों की रिहाई की मांग करती थी, उसमें बरादर का नाम हर लिस्ट में होता था।
सितंबर 2013 में बरादर को रिहा कर दिया गया। उसके बाद से मुल्ला बरादर ने कतर के दोहा में तालिबान के राजनीतिक दफ्तर की कमान संभाली। साल 2018 में जब क़तर में अमेरिका से बातचीत करने के लिए तालिबान का दफ़्तर खुला तो उन्हें तालिबान के राजनीतिक दल का प्रमुख बनाया गया। मुल्ला बरादर ने अमेरिका के साथ बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी।
मुल्ला बरादर 2021 अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद काबुल लौटे। बताया जा रहा है कि तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब, शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई भी तालिबान की इस सरकार में अहम पदों पर होंगे।
पंजशीर पर तालिबान का कब्जा –
तालिबान ने दावा किया है कि उन्होंने काबुल के उत्तर में घाटी पर कब्जा कर लिया है। पंजशीर अफगानिस्तान का आखिरी हिस्सा है जो तालिबान की खिलाफत में खड़ा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक तालिबान कमांडर ने कहा, “सर्वशक्तिमान अल्लाह की कृपा से, हम पूरे अफगानिस्तान को नियंत्रण में ले चुके हैं। संकट पैदा करने वालों को हरा दिया गया है और पंजशीर अब हमारे अधीन है।”
वहीं मसूद अहमद शाह के बेटे अहमद मसूद ने ट्वीट कर पंजशीर पर तालिबन के कब्जे की खबरों को झूठा बताया है। अहमद मसूद ने लिखा, “पंजशीर पर कब्जे की खबरें पाकिस्तानी मीडिया में चल रही हैं। यह एक झूठ है। पंजशीर पर कब्जा मेरे जीवन का आखिरी दिन होगा, इंशाअल्लाह।”