तालिबान की क्रूरता का एक मामला सामने आया है। द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक एक 30 वर्षीय महिला का सिर सिर्फ इसलिए कलम कर दिया गया क्योंकि वह बिना अपने पति के घर से बाहर गई थी। झकझोर देने वाली यह घटना सोमवार को उत्तरी अफगानिस्तान के सर-ए पुल प्रांत के लाती में हुई। इस मामले में तालिबान ने अपना हाथ होने से इनकार किया है। इसलिए किसी को भी फिलहाल अरेस्ट नहीं किया गया। टोलो न्यूज के मुताबिक महिला का पति ईरान में रहता है कि दंपती के कोई संतान भी नहीं है। अफगानिस्तान में यह बात सबको पता है कि तालिबानी कानून के मुताबिक महिलाओं को पर्दे में रहने का हुक्म है। वह लोगों के बीच जोर से नहीं बोल सकती और न ही किसी पुरुष के बिना घर से निकल सकती है। इसके अलावा मीडिया से बातचीत करने पर भी पाबंदी लगी हुई है। तालिबान यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं के साथ यह भेदभाव बरकरार रहे।
यह पहली बार नहीं है जब तालिबान ने महिलाओं के साथ इस तरह की दरिंदगी की हो। इससे पहले भी उन्हें सार्वजनिक दंड, जिस्मानी सजा और फुटबॉल के मैदान में फांसी जैसी खौफनाक सजाएं दी जाती रही हैं।

इसी साल 20 दिसंबर को दूसरी शादी करने वाली एक महिला को तालिबान ने गोली मार दी थी। अजीजा नाम की इस महिला का पति ईरान रहने चला गया था। अफगानिस्तान में अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की थी।  रिपोर्टों के मुताबिक महिला के पति ने तलाक को विदेश से ही मंजूरी दे दी थी। पाझवॉक न्यूज के मुताबिक उसके पूर्व पति ने अपने एक रिश्तेदार को अजीजा को तलाक देने के लिए अधिकृत किया था। लेकिन ईरान से लौटने पर उसने तालिबान की स्व नियुक्त अदालत में अजीजा की दूसरी शादी के खिलाफ अर्जी दी थी।

इससे पहले साल 2015 में अफगानिस्तान के पश्चिमी घोर प्रांत में एक महिला और पुरुष को सरेआम 100 कोड़े मारे गए थे। दोनों को आपत्तिजनक हालत में पकड़ा गया था और व्यभिचार के आरोप में उन्हें सजा दी गई थी। इस दौरान दर्जनों लोग घटनास्थल पर मौजूद थे और अपने मोबाइल फोन से रिकॉर्डिंग कर रहे थे।