अफगानिस्तान में तालिबान का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है और वहां पल पल हालात बदल रहे हैं। कई प्रमुख शहरों पर कब्जे के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बाहरी हिस्से भी कब्ज़ा कर लिया। तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सलेह के देश छोड़ने की खबर सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि दोनों अफगानिस्तान छोड़कर तजाकिस्तान जा रहे हैं। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति करजई ने बच्चों के साथ तस्वीर पोस्ट कर तालिबान और अफगान सेना से लोगों की सुरक्षा करने की अपील की है।

अफगान नेशनल रिकांसिलिएशन काउंसिल के प्रमुख अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने भी अशरफ गनी के देश छोड़ने की पुष्टि की है। अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने अफगान सुरक्षाबलों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है। साथ ही उन्होंने अशरफ गनी को पूर्व राष्ट्रपति कहते हुए कहा कि उन्होंने देश छोड़ दिया है। इसके अलावा उन्होंने तालिबान लड़ाकों से थोड़ा समय मांगा है ताकि बातचीत किया जा सके।

प्रसिद्ध इतिहास विलियम डेलरिम्पल ने भी ट्वीट कर यह जानकारी दी। डेलरिम्पल ने कहा कि उन्हें काबुल में रहने वाले दोस्तों से पता चला है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी काबुल एयरपोर्ट से उड़ान भर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अब यह ख़त्म हो चुका है। गनी सरकार गिर चुकी है और वह भाग चुके हैं। अफगानिस्तान अब तालिबान के हाथों में है। विलियम ने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि वे तजाकिस्तान जा रहे हैं।

रविवार को अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सलेह ने देश छोड़ने से पहले बेहद ही भावुक ट्वीट किया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबानी आतंकवादियों के आगे नहीं झुकूंगा। मैं अपने कमांडर, लेजेंड और गाइड अहमद शाह मसूद की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा। मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा जिन्होंने मेरी बात सुनी। मैं तालिबान के हरगिज नहीं रह सकता हूं। कभी नहीं।

इससे पहले रविवार दोपहर को सत्ता हस्तांतरण की खबर भी सामने आई थी। तालिबान लड़ाकों द्वारा काबुल को घेरे जाने की खबर सामने आने के बाद अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि काबुल पर हमला नहीं होगा। सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से होगा और अंतरिम सरकार बनेगी। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कतर के अल-जजीरा अंग्रेजी उपग्रह समाचार चैनल को बताया कि चरमपंथी काबुल शहर के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने लड़ाकों और सरकार के बीच किसी भी संभावित वार्ता की जानकारी देने से इनकार कर दिया। हालांकि यह पूछने पर कि तालिबान किस तरह का समझौता चाहता है, इस पर शाहीन ने माना कि वे चाहते हैं कि केंद्र सरकार बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण कर दें।

दुनियाभर का आकलन सही निकला। अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ते ही तालिबान ने पूरे देश पर कब्ज़ा कर लिया और अफगान सेना को भी खदेड़ दिया। जबकि अफगान सेना को अमेरिकी सहयोग प्राप्त था। अमेरिकी सेना के द्वारा प्रशिक्षण दिए जाने और अरबों डॉलर खर्च करने के बावजूद सुरक्षाबल तालिबान आतंकियों के सामने नहीं टिक पाए। थोड़े दिनों पहले खुद अमेरिकी सेना ने भी अनुमान जताया था कि एक महीने से कम समय में ही राजधानी पर तालिबान का कब्जा हो जाएगा।

अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद अफगानिस्तान की सत्ता पर भी लगभग तालिबान का नियंत्रण हो चुका है। अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि तालिबान की तरफ से आने वाले समय में कौन अफगानिस्तान की सत्ता संभल सत्ता सकता है। हालांकि तालिबान कमांडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का नाम सबसे आगे चल रहा है। लेकिन अभी भी अफगानिस्तान में तालिबान की कमान हैबतुल्ला अखुनजादा के हाथ में है। इसके अलावा तालिबान के सैन्य मामले को देखने वाले मुल्ला मोहम्मद याकूब को भी तालिबान का बड़ा नेता माना जाता है। इसके अलावा सिराजुद्दीन हक्कानी और अब्दुल हाकिम हक्कानी को तालिबान को भी शीर्ष नेताओं में शामिल किया जाता है।