Israel Syria War Updates: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने मंगलवार को कहा कि वह आतंकवाद खत्म करने, रासायनिक हथियारों के भंडार को नष्ट करने और अल्पसंख्यकों एवं महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाली नयी सीरिया सरकार को मान्यता देगा और उसका समर्थन करेगा। एपी की खबर के अनुसार, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान में कहा कि अमेरिका सीरिया में समूहों और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर काम करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के अपदस्थ होने के बाद सत्ता का हस्तांतरण सुचारू रूप से हो। हालांकि, उन्होंने इस बारे में स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि अमेरिका किन समूहों के साथ काम करेगा, लेकिन विदेश मंत्रालय ने मुख्य सीरियाई विद्रोही समूह के साथ बातचीत की संभावना से इनकार नहीं किया है, भले ही उसे आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।पढ़ें- Syria: कैसे शुरू हुआ गृह युद्ध, क्यों हार गए बशर अल-असद?
इस सबके बीच भारत ने सीरिया से अपने 75 नागरिकों को निकाला। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और वे कमर्शियल फ्लाइट्स से भारत लौटेंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि यह कदम सीरिया में हाल की घटनाओं के बाद उठाया गया है। पढ़ें- सीरिया में हो रहे बवाल का भारत पर भी असर? जानें नेहरू से लेकर मोदी तक के कैसे रहे संबंध
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सीरिया के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद अल-बशीर का कहना है कि सीरियाई लोगों को "स्थिरता और शांति" की आवश्यकता है और वह सार्वजनिक सेवाओं और संस्थानों को पुनर्स्थापित करने के लिए बशर अल-असद के शासन के अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं।
इज़रायल की सेना का कहना है कि उसने पिछले 48 घंटों में सीरिया पर 480 हमले किए, जिसमें 15 नौसैनिक जहाजों, एंटी एयरक्राफ्ट बैटरियों और कई शहरों में हथियार उत्पादन स्थलों को नष्ट कर दिया।
लगभग 14 सालों के सीरियाई गृहयुद्ध के बाद, विद्रोहियों को सत्ता पर कब्ज़ा करने में 14 दिनों से भी कम समय लगा। इस सबके बीच आइये जानते हैं सीरिया में कैसे बदले हालात और क्यों राष्ट्रपति असद को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा? पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें
सीरिया में राष्ट्रपति अल असद के परिवार के 50 साल के शासन को उखाड़ फेंकने और विद्रोही गुटों के राजधानी दमिश्क में कब्जे के बाद से भारत ने सीरिया से अपने 75 नागरिकों को निकाला। सीरिया में अपने नागरिकों की सुरक्षा और वहां की राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए भारत सरकार ने यह कदम उठाया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और वे उपलब्ध कमर्शियल फ्लाइट्स से भारत लौटेंगे। पढ़ें पूरी खबर
लगभग 14 सालों के सीरियाई गृहयुद्ध के बाद, विद्रोहियों को सत्ता पर कब्ज़ा करने में 14 दिनों से भी कम समय लगा। इस सबके बीच आइये जानते हैं सीरिया में कैसे बदले हालात और क्यों राष्ट्रपति असद को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा? पढ़ें पूरी खबर
सीरिया की सत्ता में हुए इस बड़े बदलाव का क्या कोई असर भारत पर भी हो सकता है। भारत में विदेश मामलों के जानकार इसे लेकर क्या कहते हैं, इस बारे में जानना जरूरी होगा। पढ़ें पूरी खबर
विद्रोहियों ने देश पर कब्जा करने के बाद वहां की जेलों में बंद कैदियों को भी रिहा करने का निर्णय लिया। हालांकि सीरिया की सेडनाया जेल में ज्यादातर कैदी अभी भी बाहर नहीं आ पाए हैं। बता दें कि इस जेल में कई लोग ऐसे सेल में कैद हैं, जिसमें हमेशा अंधेरा छाया रहता है। यहां पर इलेक्ट्रॉनिक दरवाजे लगे हैं और उनके कोड लोगों को नहीं पता हैं। बहुत से कैदियों को दीवार तोड़कर निकाला गया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें
गाजा पट्टी में पिछली रात इजरायली हमलों में एक महिला समेत कम से कम छह लोगों की मौत हो गयी। फलस्तीनी चिकित्सा अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ये हमले ऐसे समय हुए हैं, जब विद्रोहियों द्वारा दमिश्क पर नियंत्रण कायम करने के बाद सीरिया के अपदस्थ नेता बशर असद रविवार को भागकर मॉस्को चले गये और उन्हें अपने लंबे समय के सहयोगी रूस से शरण मिल गयी। रूसी मीडिया ने यह खबर दी। रूस के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सीरिया के विषय पर सोमवार दोपहर बंद कमरे में आपात बैठक हुई।
असद की सरकार के बेदखल होने के बाद सैकड़ों सीरियाई शरणार्थी दक्षिणी तुर्किये में दो सीमा चौकियों पर एकत्र हुए, जो अपने घर वापसी की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। कई लोग सर्द मौसम के बीच भोर में कंबल ओढ़कर सिल्वेगोजू और ओनकुपीनार सीमा द्वारों पर पहुंच गए। कुछ लोग अलाव जलाकर सीमा अवरोधकों के पास रुके हैं और वहां से निकलने का इंतजार कर रहे हैं। तुर्किये के अधिकारियों ने यह नहीं बताया है कि असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद से कितने सीरियाई वापस लौटे हैं।
इजरायली फोर्स ने 1974 के युद्धविराम समझौते के हिस्से के रूप में स्थापित सीरिया में एक असैन्यीकृत बफर जोन पर नियंत्रण करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस कदम को अस्थायी बताया, जिसका उद्देश्य सीरियाई सेना के पीछे हटने के बाद सीमा को सुरक्षित करना था। समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, उन्होंने कहा, "चूंकि सीरियाई सैनिक वहां से हट गए हैं इसलिए सुरक्षा के लिए अस्थायी रूप से इज़रायल का बफर जोन में जाना आवश्यक था।"
एचटीएस के नेतृत्व वाले सीरियाई विद्रोही समूह ने पीएम जलाली से मुलाकात की और सत्ता हस्तांतरण पर चर्चा की। बैठक में एचटीएस के नेता अबू मोहम्मद अल-जोलानी और एचटीएस से जुड़ी साल्वेशन सरकार के प्रधान मंत्री मोहम्मद अल-बशीर शामिल थे। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, विद्रोहियों ने एक बयान में कहा कि "बैठक इस तरह से सत्ता हस्तांतरण का समन्वय करने के लिए थी जिससे सीरिया में हमारे लोगों को सेवाओं का प्रावधान सुनिश्चित हो सके।"
तुर्किये के विदेश मंत्री हकन फिदान ने सीरिया में एक नए युग की उम्मीद जताई है, जिसमें जातीय और धार्मिक समूह एक समावेशी सरकार के तहत शांतिपूर्वक रह सकेंगे, लेकिन उन्होंने इस्लामिक स्टेट या कुर्द लड़ाकों को स्थिति का फ़ायदा उठाने की अनुमति न देने की चेतावनी देते हुए कहा कि तुर्किये सीरिया को ‘‘आतंकवाद के लिए पनाहगाह’’ बनने से रोकेगा।
सीरिया में युद्ध पर नजर रखने वाले एक संगठन ने कहा कि असद के भाई माहेर का एक शीर्ष सहयोगी दमिश्क के पास अपने कार्यालय में मृत पाया गया। सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में मेजर जनरल अली महमूद को कथित तौर पर खून से लथपथ और उनके कपड़े जले हुए दिखाई दिए। ब्रिटेन स्थित ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी हत्या की गई या यह आत्महत्या का मामला है।
इजरायल ने कहा है कि उसके सुरक्षा बलों ने सीरिया में संदिग्ध रासायनिक हथियार ठिकानों और लंबी दूरी के रॉकेटों पर हमला कर उन्हें नष्ट कर दिया है ताकि ये शत्रुओं के हाथ न लग सकें। सीरियाई सैनिकों की वापसी के बाद इजरायल ने सीरिया के अंदर एक ‘बफर जोन’ पर भी कब्जा कर लिया है। तुर्किये ने कहा है कि उत्तरी सीरिया में सहयोगी विपक्षी बलों ने अमेरिका समर्थित कुर्द नेतृत्व वाली सेनाओं को पीछे धकेलते हुए मनबीज शहर पर कब्जा कर लिया है।
दमिश्क में विद्रोहियों ने बंदियों को मुक्त कराने के लिए न्यायालय पर धावा बोला था। निवर्तमान सरकार में न्याय मंत्री के सहयोगी न्यायाधीश खितम हद्दाद ने रविवार को कहा कि न्यायाधीश जल्दी ही काम पर लौटने के लिए तैयार हैं। हद्दाद ने न्यायालय के बाहर कहा, ‘‘हम सभी को उनके अधिकार देना चाहते हैं। हम एक नया सीरिया बनाना चाहते हैं और काम जारी रखना चाहते हैं, लेकिन नए तरीकों से।’’ विद्रोहियों ने कहा कि वे व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देंगे और महिलाओं पर इस्लामी पोशाक नहीं थोपेंगे।
संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा काम पर लौटने के आह्वान को नजरअंदाज करने के कारण कुछ प्रमुख सरकारी सेवाएं ठप हो गईं, जिससे हवाई अड्डों और सीमाओं पर समस्याएं पैदा हो गईं और मानवीय सहायता पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं। सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय और मानवीय समन्वयक एडम अब्देलमौला ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की सेवाएं पूरी तरह और अचानक ठप हो गई हैं। उन्होंने बताया कि विमानन कर्मचारियों के ड्यूटी पर नहीं आने के कारण तत्काल आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति ले जाने वाली उड़ान को रोक दिया गया।
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ‘क्रेमलिन’ ने कहा कि रूस ने सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर असद को राजनीतिक शरण दी है। ‘क्रेमलिन’ के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने संवाददाताओं को बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने असद को शरण देने का निर्णय व्यक्तिगत रूप से लिया। पेस्कोव ने इस बारे में नहीं बताया कि असद कहां ठहरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन की असद से मिलने की योजना नहीं है।