वरिष्ठ राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि के रूप में अपना परिचय पत्र वैश्विक संस्था के महासचिव बान की-मून के सामने पेश करेंगे। विदेश मंत्री के पूर्व उच्च स्तरीय प्रवक्ता अकबरुद्दीन इससे पहले साल 1995-98 के दौरान प्रथम सचिव के रूप में संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन को अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों और शांति रक्षा अभियानों पर अपना ध्यान केंद्रित रखा।

परिचय पत्र पेश करने से पहले मिशन की वेबसाइट पर अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत के पास संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य के तौर पर शामिल होने के लिए सभी जरूरी योग्यताएं हैं। साल 1985 के बैच के विदेश सेवा अधिकारी अकबरुद्दीन ने कहा कि साल 1945 में सान फ्रांसिस्को में यूएन चार्टर पर हस्ताक्षर के समय से भारत संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य है।

अकबरुद्दीन ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में मदद करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से 1.7 लाख से ज्यादा सैनिकों की तैनाती से दिखती है। इन सैनिकों ने अब तक संयुक्त राष्ट्र के 68 शांति रक्षा अभियानों में से 43 अभियानों में पूरी बहादुरी के साथ भाग लिया है।’ उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए हमने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के प्रावधानों पर जोर दिया है।’

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक और मानवीय विकास एजेंडे के निर्धारण और क्रियान्वयन में भारत एक बड़ा भागीदार है। संयुक्त राष्ट्र में तैनाती से पहले अकबरुद्दीन नई दिल्ली में अक्तूबर 2015 को आयोजित हुए भारत-अफ्रीका मंच सम्मेलन के प्रमुख संयोजक थे। इसमें उन सभी 54 अफ्रीकी देशों ने शिरकत की थी, जो कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं। वह साल 2006-2011 तक विएना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजंसी में एक अंतरराष्ट्रीय जनसेवक के रूप में भी काम कर चुके हैं। इस अवधि के दौरान उन्होंने विदेश मामलों और नीति समन्वय इकाई और आइएइए के महानिदेशक के विशेष सहायक के रूप में भी काम किया।

इस महीने यहां पहुंचने पर अकबरुद्दीन ने वैश्विक संस्था से अपील की कि वह परिभाषा के आधार पर चल रहे मतभेद से ऊपर उठने का साझा हल करे और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर लंबे समय से लंबित समग्र समझौते पर काम करे।