Sufi Shrines Attacks in Bangladesh: बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार की सत्ता से विदाई हुई थी। इसके बाद से ही इस इस्लामिक मुल्क में कट्टरपंथी लगातार हावी होते जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश से खबरें आई कि वहां पर हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले किए गए और उनके धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया लेकिन अब इससे भी ज्यादा हैरान और परेशान करने वाली खबर आई है।
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कट्टरपंथियों ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कामकाज संभालने के बाद से इस मुल्क में 100 से ज्यादा सूफी दरगाहों में तोड़फोड़ कर उन्हें जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। तोड़फोड़ की इस कार्रवाई में हिज्बुत तहरीर और जमात-ए-इस्लामी जैसी कई और इस्लामी पार्टियां शामिल हैं।
मोहम्मद यूनुस की सरकार कई बार कह चुकी है कि कट्टरपंथ के खिलाफ उसकी नीति जीरो टॉलरेंस की है लेकिन बावजूद इसके कट्टरपंथियों द्वारा दूसरे मत को मानने वालों को निशाना बनाने की घटनाएं थम नहीं रही हैं। सूफी दरगाहों पर हमला करने के मामले में मोहम्मद यूनुस की सरकार ने अब तक केवल 20 लोगों को गिरफ्तार किया है। बांग्लादेश में 12 हजार मजारें और लगभग 17 हजार दरगाह हैं।
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बांग्लादेश में बड़ी संख्या में सूफी समुदाय के अनुयायी हैं लेकिन उन्हें बार-बार कट्टरपंथियों की नफरत का सामना करना पड़ता है। जमात-ए-इस्लामी और हिज्बुत तहरीर लंबे समय से सूफीवाद का विरोध कर रहे हैं।
सूफी समूह ग्लोबल सूफी ऑर्गेनाइजेशन के नेता हसन शाह सुरेश्वरी दीपू नूरी ने कहा कि इस्लामवादी पूरे बांग्लादेश में सूफी दरगाहों को लेकर धमकी दे रहे हैं और कह रहे हैं कि गाना और नाचना गैर इस्लामिक है। ग्लोबल सूफी ऑर्गेनाइजेशन से बांग्लादेश में बड़ी संख्या में दरगाह, दरगाह शरीफों को मानने वाले जुड़े हुए हैं।
शेख हसीना को छोड़ना पड़ा था देश
बीते साल जब बांग्लादेश की तत्कालीन शेख हसीना सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए तो उन्हें पहले सत्ता और फिर देश छोड़कर बाहर निकलना पड़ा था। शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। इसके बाद से ही दूसरे धर्म के आस्था स्थलों और दरगाहों पर हमले शुरू हो गए थे। इसे लेकर वहां की कानून व्यवस्था को लेकर बेहद गंभीर सवाल उठे हैं।
बांग्लादेशी अकबर ‘द डेली स्टार’ के मुताबिक, पिछले साल अगस्त और सितंबर के महीने में देशभर में 70 से अधिकतर दरगाहों और अखाड़ों पर हमला किया गया, उनमें तोड़फोड़ की गई, आग लगाई गई या लूटपाट की गई। कई मामलों में दरगाह पर जाने वालों को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया और जबरन उनके बाल और दाढ़ी काट दी गई। कई जगहों पर हमलावरों ने दरगाह पर रहने वालों की पिटाई भी की।
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होते ही सूफी दरगाहों पर पहला हमला 5 और 6 अगस्त, 2024 को हुआ था। इसके बाद सितंबर में छात्रों, कट्टरपंथियों और स्थानीय मस्जिदों के इमामों की एक बेकाबू भीड़ ने शुक्रवार की नमाज के बाद सिलहट में स्थित हजरत शाह पोरन दरगाह पर हमला कर दिया था। उसके बाद से शुरू हुआ यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
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