Sri Lanka New President Anura Dissanayake: श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हो गए हैं और मतगणना में पहले राउंड की गिनती के बाद किसी प्रत्याशी को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट न मिलने की स्थिति में दूसरे राउंड के वोटों की गिनती करनी पड़ी जो कि श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में पहली बार हुआ था। मतगणना के बाद चुनाव आयोग ने जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के गठबंधन नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को विजेता घोषित कर दिया।
दिसानायके को अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सजित प्रेमदासा के मुकाबले लगभग 42% लोकप्रिय वोट मिले, जिन्हें केवल 23% वोट मिले। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे केवल 16% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। ऐसे में आर्थिक संकट से जूझकर निकले श्रीलंका को उबारकर पटरी पर लाने की जिम्मेदारी दिसानायके की ही है।
भारत को लेकर क्या है दिसानायके की सोच?
भारत के लिए श्रीलंका एक अहम पड़ोसी देश हैं। इंडो पैसेफिक क्षेत्र में चीन की चालों के बीच श्रीलंका से भारत ने अपने रिश्ते मजबूत रखे थे ऐसे में सत्ता परिवर्तन पर यह देखना अहम होगा कि दिसानायके का रुख भारत को लेकर क्या रहता है। उनकी पार्टी की बात करें तो जेवीपी ने भारत से आए तमिल मूल के एस्टेट कर्मचारियों की निंदा करते हुए उन्हें “भारतीय विस्तारवाद का साधन” बताया था।
कौन हैं अनुरा दिसानायके, श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, वामपंथ से है कनेक्शन
दिसानायके की पार्टी ने भारत और श्रीलंका के बीच व्यापार पर व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) का भी विरोध किया है जो दोनों देशों के बीच अधिक व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के मामले में अहम है।
कच्चातिवु को लेकर भी भारत के खिलाफ है रुख
नए निर्वाचित राष्ट्रपति दिसानायके कच्चातीवु द्वीप को भारत को वापस देने के किसी भी प्रयास का विरोध कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जा सकता। उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली ने इस साल की शुरुआत में दिसानायके और जेवीपी प्रतिनिधिमंडल को ‘आधिकारिक दौरे’ के लिए आमंत्रित करके जेवीपी से संपर्क भी साधा था लेकिन भारत को लेकर उनका रुख ज्यादातर नकारात्मक ही रहा है।
भारत-श्रीलंका समझौथे का भी किया वरोध
दिसानायके की जेवीपी ने तमिलों को सत्ता के किसी भी हस्तांतरण का विरोध किया है। उनकी पार्टी ने 1987 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा हस्ताक्षरित भारत-श्रीलंका समझौते का भी विरोध किया है। पार्टी ने श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन का भी विरोध किया है, जिसके तहत देश के तमिल-बहुल उत्तर-पूर्व में भूमि राजस्व और पुलिस पर अधिक नियंत्रण देने के लिए प्रांतीय परिषदों का गठन किया गया था।
बता दें कि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी कच्चातिवु द्वीप को लेकर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर आरोप लगा चुके हैं कि वह द्वीप उनकी सरकार द्वारा श्रीलंका को दे दिया गया। इसको लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप भी लगाए थे।