श्रीलंका के उलेमा (मुस्लिम धर्मगुरुओं) ने मंगलवार को मुस्लिम महिलाओं से कहा कि जब तक सरकार चेहरा ढकने की फिर से इजाजात नहीं दे देती तब तक वे चेहरा पर ढकने वाले नकाब न डालें। दरअसल, देश में ईस्टर के मौके पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद आपातकाल नियमों के तहत हर तरह के पर्दे पर रोक लगा दी थी। श्रीलंका के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन ऑल सिलॉन जमीयत-उल-उलेमा के प्रवक्ता फाजलि फारूक ने कहा कि उलेमा को डर है कि मुस्लिम समुदाय को दोबारा हिंसा का निशाना बनाया जा रहा है। अप्रैल में ईस्टर रविवार को हमले के बाद भी समुदाय को निशाना बनाया गया था।
इस हमले में 260 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। इस हमले के लिए दो स्थानीय मुस्लिम समूहों को कसूरवार ठहराया गया है।
फारूक ने मुस्लिम महिलाओं से चेहरे पर नकाब डालने के लिए जल्दबाजी नहीं करने को कहा। प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने पहले भी यह नहीं किया था और हम उनसे फिर कह रहे हैं कि वे नकाब न डालें। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाएं बिना नकाब के घरों से ही नहीं निकल रही हैं, क्योंकि उन्हें चेहरा ढकने की आदत है।
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ईस्टर के मौके पर तीन होटलों और तीन गिरजाघरों में सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए थे। इसके बाद श्रीलंका सरकार ने आपातकालीन नियम लागू कर दिए थे। राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने आपातकालीन कानून का इस्तेमाल करके चेहरा ढकने पर रोक लगा दी थी। आपातकालीन नियमों को हर महीने बढ़ा दिया जाता था लेकिन सिरिसेना ने पिछले हफ्ते इस कानून की मियाद खत्म होने दी। राष्ट्रपति ने एक अलग आदेश जारी करके सेना को शांति बनाए रखने की इजाजत दे दी।

