China Diplomatic Loss: चीन श्रीलंका में लगातार अपना प्रभुत्व बनाने का प्रयास करता रहा है। इसके चलते भारत और चीन दोनों ही श्रीलंका को लेकर आमने-सामने आते रहे हैं और यहां प्रोजेक्ट्स को लेकर भी काफी ज्यादा कॉम्पिटीशन रहता है। हालिया घटनाक्रम की बात करें तो श्रीलंका में चीन को बड़ा झटका लगा है। श्रीलंका में चीन ने 20.9करोड़ डॉलर की लागत वाला मत्ताला इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया था, लेकिन अब उसका कंट्रोल भारत और रूस की कंपनियों के हाथों में दे दिया गया है, जिसके चलते चीन के होश फाख्ता हो गए हैं।

जानकारी के मुताबिक श्रीलंका की सरकार ने अपने 20.9 करोड़ डॉलर की लागत से बने मत्ताला राजपक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट का प्रबंधन भारत और रूस की कंपनियों को सौंपने का फैसला किया है। इसको लेकर श्रीलंकाई कैबिनेट ने शुक्रवार को यह अहम फैसला लिया था, जिसका असर बीजिंग तक गया है, क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि यह एयरपोर्ट भारत के हाथ में जा सकता है।

गौरतलब है कि मत्ताला एयरपोर्ट श्रीलंका के तटीय शहर हंबनटोटा के नजदीक स्थित है। हंबनटोटा का बंदरगाह श्रीलंका की सरकार ने 99 वर्षों के लिए चीन को लीज पर दिया हुआ है। ऐसे में इसी बंदरगाह के नजदीक स्थित एयरपोर्ट का प्रबंधन भारतीय कंपनी को मिलना अहम है जिससे चीन की चालबाजियों पर निगाह रखने में भारत को मदद मिल सकती है।

विवादों में रहा है ये एयरपोर्ट

जानकारी के मुताबिक मत्ताला राजापक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण साल 2013 में हुआ था। इस एयरपोर्ट के निर्माण के लिए वित्तीय मदद चीन के एक्सिम बैंक ने दी थी। हालांकि यह एयरपोर्ट अपने निर्माण के बाद से ही विवादों में घिरा हुआ है, क्योंकि यहां कम संख्या में फ्लाइट्स आती हैं, साथ ही यह जिस जगह बना है, वह पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील है। इस एयरपोर्ट से श्रीलंका की सरकार को काफी घाटा उठाना पड़ा।

इन्हीं कारणों के चलते ही श्रीलंका की सरकार ने इस एयरपोर्ट का मैनेजमेंट भारत की कंपनी शौर्य एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड और रूस की कंपनी रीजन्स मैनेजमेंट कंपनी को 30 वर्षों के लिए सौंप दिया है। श्रीलंका की कैबिनेट ने बयान जारी कर यह जानकारी दी है।

चीन का कर्ज कर रहा श्रीलंका को परेशान

बता दें कि श्रीलंका की सरकार ने भारतीय और रूसी कंपनियों के लिए कितनी राशि में यह डील की है, उसका खुलासा तो अभी नहीं हुआ है लेकिन चीन के कर्ज की उच्च ब्याज दरों की वजह से श्रीलंका का घाटा बढ़ता जा रहा था। इसीलिए श्रीलंका की सरकार चीन के एक्सिम बैंक से लिए गए कर्ज को फिर से पुनर्संगठित करने की मांग भी कर रही है।

श्रीलंका सरकार ने चीन के एक्सिम बैंक से विभिन्न परियोजनाओं के लिए 4.2 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। जिनमें से एक इस एयरपोर्ट का निर्माण भी शामिल था। बता दें कि यह एयरपोर्ट महिंद्रा राजपक्षे के कार्यकाल में बना था, जो कि चीन समर्थक माने जाते रहे हैं।