श्रीलंका की राजधानी कोलंबो स्थित भारतीय दूतावास पर भी आतंकियों ने आत्मघाती हमले की साजिश रची थी। ‘द सन’ अख़बार के मुताबिक श्रीलंका के पुलिस प्रमुख ने फिदायीन हमले को लेकर 10 दिन पहले चेतावनी दी थी। अखबार ने पुजथ जयसुंदरा के हवाले से बताया है, “विदेशी खुफिया एजेंसियों ने पहले ही सूचना दे दी थी कि NTJ (नेशनल तौहीद जमात) आत्मघाती हमले की साजिश रच रहा है। आतंकियों के निशाने पर कोलंबो स्थित प्रमुख चर्च और भारतीय दूतावास भी है।”

रविवार सुबह 8.45 बजे तीन चर्चों और तीन फाइव-स्टार होटलों में हुए सीरियल धमाकों में 160 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें 35 के करीब विदेशी नागरिक शामिल हैं। इसके अलावा दोपहर बाद भी सातवे धमाके की खबर आई। गौरतलब है कि इस हमले को लेकर विदेशी मीडिया में NTJ इस्लामिक चरम पंथी संगठन का नाम लिया जा रहा है। NTJ श्रीलंका का एक कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन है। पिछले साल बौध प्रतिमाओं को क्षति पहुंचाने में इसी संगठन का नाम सामने आया था। हालांकि, सीरियाल ब्लास्ट को लेकर अभी तक किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। भारत के तमाम नेताओं और लोगों ने इस हमले की निंदा की है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट करके अपना शोक जाहिर किया है। उन्होंने कहा, “भारत श्रीलंका में हुए आतंकी हमले की घोर निंदा करता है और वहां के नागरिकों तथा सरकार के प्रति शोक जाहिर करता है।”

कोविंद ने लिखा,”बेगुनाहों को निशाना बनाकर किए जाने वाले ऐसे हमलों का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है। हम श्रीलंका के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े हैं।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने भी ट्वीट करके लिखा, “श्रीलंका में हुए ब्लास्ट की मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। हमारे क्षेत्र में ऐसे विभत्स घटनाओं के लिए कोई जगह नहीं है। श्रीलंका के लोगों के साथ भारत पूरी एकता और ताकत के साथ खड़ा है। मैं अपनो को खोने वालो को सांत्वना देता हूं और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करता हूं।”

श्रीलंका में ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा के कई मामले पहले भी देखे जा चुके हैं। श्रीलंका की एक संस्था NCEASL ( National Christian Evangelical Alliance of Sri Lanka) के मुताबिक पिछले साल ईसाई लोगों के खिलाफ नफ़रत, धमकी और हिंसा के 86 मामले दर्ज किए गए। गौरतलब है कि श्रीलंका की कुल आबादी 2 करोड़ 20 लाख है, जिनमें 70 फीसदी बौध और 12.7 फीसदी हिंदू हैं। इसके अलावा 9.7 फीसदी मुस्लिम और 7.6 फीसदी ईसाई हैं।