आखिरकार ओम शिनरिकयो का संस्थापक शोको असहारा (63) जिसकी पहचान एक हत्यारे के रूप में थी, को फांसी दे दी गई। उसने 1995 में टोक्यो मेट्रो पर सरिन गैस से हमला किया था। वह था तो अंधा लेकिन, खुद को क्राइस्ट और भगवान को दूत मानता था। अपने संगठन की महिलाओं के साथ संबंध बनाने के बाद उनके बाल काटकर छोटी शीशीयों में रख लेता था। अपने विरोधियों को मौत के घाट उतार देता था। उन्हें यातनायें देता था। जापानी मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मौत की सजा सुबह करीब सात बजे के आसपास दी गई।
ओम शिनरिकयो, जिसे “सुप्रीम ट्रुथ के नाम से जाना जाता था, की स्थापना 1984 में चिज़ुओ मत्सुमोतो नामक अंधे और करिश्माई गुरु द्वारा की गई थी। इसे बाद में उनके धार्मिक नाम शोको असहारा से जाना जाने लगा। इस समूह ने कॉलेज के छात्रों, बुद्धिजीवियों और इंजीनियरों की भर्ती की। साथ ही कट्टरपंथियों को भी आकर्षित किया ताकि ये और ज्यादा कट्टर बन जायें। किसी तरह वो टीवी पर धार्मिक उपदेश के प्रोग्राम्स में शामिल होने लगा। टीवी और मैगजीन में नाम छपने की वजह से उसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। विश्वविद्यालयों में उसे लेक्चर के लिए बुलाया जाने लगा। उसने कई किताबें भी लिखीं।
20 मार्च 1995 को ओम शिनरिक्योंओम शिनरिकयो के सदस्यों ने टोक्यों मेट्रो में सरिन गैस छोड़ दिया था। इस घटना में 13 लोग मारे गए थे और करीब 6000 से ज्यादा घायल हो गए थे। हमले के तुरंत बाद पुलिस ने उम के ठिकानों पर छापेमारी की थी। हालांकि, जब एक साल बाद बाबा को गिरफ्तार किया गया तो उसने कहा कि इस हादसे के लिए वो नहीं, बल्कि भगवान जिम्मेवार हैं। उन्होंने उसे ऐसा करने का निर्देश दिया था।
इस समूह का उद्देशय हेलिकॉप्टर के माध्यम से शहर में सरिन गैस छोड़ने की थी, जिससे हजारों लोगों की जान जाती। इस हमले की योजना बनाने के दौरान 1993 में उम ने हेलिकॉप्टर के पायलट को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया था और रूस में एक हेलिकॉप्टर खरीदा था।
शीशियों में रखता था महिलाओं के बाल: असहारा के निजी कक्ष में पुलिस को कई छोटी कांच की शीशियों में छोटे बाल मिले। इस बोतलों पर उसकी महिला समर्थकों के नाम लिखे थे। असहारा ने अनुयायियों के बीच शादी और सेक्स संबंधों पर पाबंदी लगाई हुई थी, लेकिन खुद वह अनुयायी महिलाओं से संबंध बनाता था। चूंकि, उसके पास कोई निजी आवास नहीं था। इस वजह से संगठन के मुख्यालय पर ही महिलाओं से संबंध बनाता था। वर्जिन महिलाओं को वो डाकिनी कहता था।
शोको असहारा ने शुरुआती दिनों में आध्यात्मिक अभ्यास, योग और जादू पर जोर दिया। असहारा ने खुद के उड़ने का दावा किया और जापानी मीडिया ने भी उन्हें सम्मान और हास्य का मिश्रण बना दिया। बाद में असहारा के ऊपर 27 हत्याओं के आरोपों में मुकदमा चलाया गया, जिसमें उसे 13 में दोषी पाया गया। जापानी मीडिया ने असहारा के खिलाफ चल रहे मुकदमे को ट्रायल ऑफ सेंचुरी भी कहा।

