ढाका में शेख हसीना की सरकार के समय शुरू हुए विद्रोह और हिंसक आंदोलन के दौरान पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी कराने में मदद के लिए विरोधी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर दबाव डाला और यातना दी। पुलिस के जुल्म के शिकार बने कई वर्करों को बुरी तरह टार्चर किया गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक हाल ही में ढाका जेल से बाहर निकले दो कार्यकर्ताओं ने पुलिसकर्मियों के रोंगटे खड़े कर देने वाले अत्याचार के बारे में खुलकर बताया।
रात में जेल के कमरे में आए पुलिस वालों ने कहा- मरने के लिए तैयार रहो
शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद जेल से बाहर आए दो कार्यकर्ताओं निजामुद्दीन मिंटो और जाकिर हुसैन ने बताया: “22 जुलाई को रात 12.30 बजे सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों का एक समूह मेरे कमरे में घुस आया और मुझ पर और मेरे दोस्त जाकिर पर पिस्तौल तान दी। एक अधिकारी ने हमें बताया कि हम गिरफ़्तार हैं और वे हमें मार देंगे क्योंकि हमने कई पुलिसकर्मियों को मारा था। अधिकारियों ने कहा कि वे पहले ही 25 युवकों को मार चुके हैं और 26वें और 27वें नंबर पर हम दोनों है।”
20 हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों ने कमरे से निकाल कर बस में ठूंस दिया
वर्करों ने बताया, “पुलिसकर्मियों ने हमें कमरे से बाहर निकाला और 14 सीटों वाली बस में ठूंस दिया। हमारे चारों ओर 18-20 हथियारबंद सीआईडी कर्मी थे। बस के अंदर घुसते ही उन्होंने हमें हथकड़ी लगा दी और कुछ प्रदर्शनकारियों के ठिकाने के बारे में पूछते हुए किसी गैजेट से बिजली का झटका दिया,”
मिंटो ने कहा, “फिर हमें बुरीगंगा नदी पर बने पोस्टोगोला पुल पर ले जाया गया और रेलिंग पर खड़े होने को कहा गया। हमें दो विकल्प दिए गए- या तो कम से कम 10 प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार करने में उनकी मदद करें या गोली खा लें। हमने कहा कि हम सहयोग करेंगे। हमें ढाका के मालीबाग में सीआईडी मुख्यालय ले जाया गया और एक कोठरी में रखा गया, जहां पांच अन्य लोग थे। हमसे दिन में तीन बार पूछताछ की जाती थी, जिसके दौरान वे हमारे साथ दुर्व्यवहार करते थे और हमारे साथ मारपीट करते थे, आंदोलन के बारे में हमसे जानकारी निकालने की कोशिश करते थे।”
मिंटो ने कहा, “चार दिनों की यातना के बाद, हमें अदालत ले जाया गया और ढाका सेंट्रल जेल भेज दिया गया। 5 अगस्त को हमें बाहर की घटनाओं के बारे में जानकारी मिलनी शुरू हुई। हमने सुना कि शेख हसीना देश छोड़कर भाग गई हैं। हम पद्मा नामक एक कोठरी में थे। बगल की कोठरी से ज़ोरदार नारेबाजी हो रही थी। अगली सुबह हमें बताया गया कि हमें रिहा कर दिया जाएगा।”