वैज्ञानिकों ने बर्फ के एक नए चरण की खोज की है जो पृथ्वी पर कहीं भी नहीं पाया जाता है। जब यूरोपा क्लिपर मिशन बृहस्पति से दूर चंद्रमा पर आता है, तब पानी के स्रोतों को खोजने के लिए देखेगा, जिसके बर्फ के रूप में सतह के नीचे मौजूद होने का अनुमान है। इसके लॉन्च से पहले वैज्ञानिकों ने बर्फ के एक नए रूप की खोज की है, जो इस दूर की दुनिया में मौजूद हो सकती है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक उच्च दबाव में पानी के गुणों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने आइस-VIIT नामक एक नए चरण की खोज की है, Ice-VII और ICE-X के बीच एक चतुष्कोणीय चरण (tetragonal phase) है जो क्यूबिक चरण के बीच में है।। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह संभावना नहीं है कि वे इस अद्वितीय चरण को पृथ्वी की सतह पर कहीं भी पाएंगे, लेकिन यह पृथ्वी के साथ-साथ बड़े चंद्रमाओं और हमारे सौर मंडल के बाहर पानी से भरपूर ग्रहों में एक सामान्य घटक हो सकता है।
बर्फ पर तब एक लेज़र-हीटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया जिससे ये छोटे क्रिस्टल के पाउडर के बनने से पहले ही अस्थायी रूप से पिघल गया। टीम ने एक बयान में कहा, “बढ़ते दबाव को बढ़ाकर और समय-समय पर इसे लेजर बीम के साथ विस्फोट करके टीम ने देखा कि पानी की बर्फ एक ज्ञात क्यूबिक चरण, आइस-VII से नए खोजे गए बर्फ में बन रही है।”
इन डायमंड्स के बीच पानी के नमूने को निचोड़कर, वैज्ञानिकों द्वारा ऑक्सीजन और हाइड्रोजन परमाणुओं को नई खोजी गई व्यवस्था, Ice-VIIT सहित कई अलग-अलग व्यवस्थाओं में ले जाया गया। शोध ने न केवल बर्फ के एक नए चरण की खोज में मदद की, बल्कि यह भी दिखाया कि ICE-X में संक्रमण पहले की तुलना में लगभग तीन गुना कम दबाव में हुआ। ये 10 लाख atmosphere की तुलना में करीब 3 लाख atmosphere में हुआ।
पीएच.डी. नेवादा लास वेगास विश्वविद्यालय के छात्र Zach Grande के नेतृत्व में हुआ ये अध्ययन पानी के व्यवहार को समझने में मदद करता है, जो दूर के ग्रहों के आंतरिक भाग में मौजूद हो सकता है।