लेखक एवं पत्रकार जमाल खशोगी के मामले में जहां एक ओर पूरे विश्व का मीडिया सऊदी शासकों को अपने निशाने पर लिए हुए है, वहीं सऊदी मीडिया पूरी तरह से उनके साथ एकजुटता का प्रदर्शन कर रहा है। इसकी वजह यह मानी जा रही है कि स्थानीय मीडिया सऊदी अरब के पैसे की ताकत से दबा हुआ है। खशोगी की तुर्की के इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में दो अक्टूबर को हत्या कर दी गई थी। इस घटना के सामने आने और सऊदी अरब का इसमें हाथ होने की गहराती आशंकाओं के चलते यह मामला दुनियाभर की मीडिया में छाया हुआ है। इसके बाद भी सऊदी अरब के मीडिया पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा।
सऊदी मीडिया की खबरों में उसी बात की पुष्टि होती है जिसे सऊदी शासक दोहराते आ रहे हैं या फिर उसमें ऐसी खबरें होती हैं जिनमें यह कहा जाता है कि सऊदी अरब से रंजिश रखने वाले देश कतर और तुर्की उनके देश की राजशाही को डगमगाने का प्रयास कर रहे हैं। माना जाता है कि सऊदी सल्तनत ने मोरक्को से लेकर इराक तक के अखबारों और टेलीविजन स्टेशनों पर लाखों डॉलर खर्च किए हैं, ताकि उसका असर बरकरार रहे। कुछ मामलों में मीडिया में निवेश भी किया गया है लेकिन अधिकतर मामलों में उन्हें सीधे धन उपलब्ध कराया गया है। सऊदी अरब स्वतंत्र लेखकों और टेलीविजन से जुड़े लोगों को नकदी भी मुहैया कराता रहा है। ऐसी जानकारी 2015 में विकीलीक्स के जरिए बाहर भी आई थी।

